Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय
मारुगूर्जर, पद्य, गा.२९, पाकाहेम १२१८९- पे.क्र. २, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तुतयः तथा सामायिक बत्रीसदोष सज्झाय, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकग्रहणविधि सं., आदि वाक्यः सामायिकमुखवस्त्रिकाप्रत्युपेक्षणपूर्वकं...
कृ.विः अन्तिमवाक्य-पुणरवि खमासमणं दाऊण भणइ इच्छाकारेण संदिसह सज्झाउ करइ. भांता ७०- पे.क्र. ४१, पृ. ४७A-४७B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४२१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सामायिकपौषधकुलक
आचार्य-जिनकीर्तिसूरि[तपागच्छ], गुरु-आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], प्रा., पद्य, गा.१६, आदि वाक्यः
छत्तीसदिणसहस्सा वाससए होइ आउपरिमाणं... पाकाहेम ११०८१, पृ. १, सामायिकपौषधफलकुलक, वि-१६वी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकपौषधपारणविधि (पौषधसामायिकपारणविधि) सं., आदि वाक्यः पौषधधारणके प्रथमं सामायिकं पार्यते...
कृ.विः अन्तिमवाक्य-ततः छउमत्थो मूढमणो इत्यादि गाथाकदंबकमुद्धायीत. भांता ७०- पे.क्र. ४३, पृ. ४७B-४८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सामायिकपौषधफलकुलक (पौषधसामायिकफलकुलक)
आचार्य-धर्मघोषसूरि, प्रा., पद्य, गा.१६, पाकाहेम ७७९०- पे.क्र. २, पृ. १, प्रत्याख्यानफलकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ सामायिकप्रकरण
प्रा., पद्य, गा.१५, आदि वाक्यः सम्मसुयदेसविरई चरणं सामाइयाइं चत्तारि... पाताखेत १२- पे.क्र. ३, पृ. १-२, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मुं पार्नु घटे छे.
डीवीडी-६१/६३ सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र (नरलक्षणशास्त्र सामुद्रतिलक)
दुर्लभराज[नृसिंहपुत्र], सं., पाकाहेम १०४४२, पृ. १४, सामुद्रतिलक-नरलक्षणशास्त्र तृतीय अधिकार पर्यन्त, वि-१६मी, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- प्रति एक खूणेथी उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१५ सामुद्रिकविविधसङ्ग्रह
मारुगूर्जर, पाकाहेम ८९१४, पृ. ५, सामुद्रिकविविधसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-६
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