Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा., पद्य, गा.११६, आदि वाक्यः आरम्भेसु नियत्ता सव्वट्ठाणेसु.
कृ.विः खंभात सूचिपत्र भाग-२ में कर्ता-जिनयश का उल्लेख है. पाकाहेम ६६६- पे.क्र. १९, पृ. १८१-१८६, चतुःशरणप्रकीर्णकादि प्रकीर्णकसह बीजक , वि-१५३८, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१७४ पाकाहेम १४९३५- पे.क्र. १, पृ. १-४, सारावलि प्रकीर्णक, आचाराङ्गसूत्र चूलिका, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७ भांका २५८- पे.क्र. २, पृ. ९२०-९५B, आराधनापताकाभगवती व सारावली प्रकीर्णक, संपूर्ण पे. नाम- सारावलीपयण्णय
कुल झे.पृष्ठ-२, डीवीडी-८९ सारोद्धार वृत्ति जुओ - प्राकृतलक्षणसारोद्धार-(सं.)वृत्ति, संस्कृत सार्धशतकप्रकरण जुओ - सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण, गणि-जिनवल्लभ, प्राकृत, गा.१६४ सालिभद्द कक्क जुओ - शालिभद्रकारक, अज्ञात-पउम, अपभ्रंश, गा.६९ सावयपण्णत्ति जुओ - श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण, वाचक-उमास्वाति, प्राकृत, गा.४०१ साहित्यविद्याधरीटीका जुओ - नैषधचरितमहाकाव्य-(सं.)साहित्यविद्याधरीटीका, पण्डित-विद्याधर, संस्कृत सिंहव्याघ्रकथा क्रोधे (क्रोधे सिंहव्याघ्रकथा) पाताहेसं १८५- पे.क्र.५, पृ. ७०-९०, कथासङ्ग्रह, वि-१३९८, संपूर्ण
डीवीडी-१०/१९ सिंहाष्टक
सं., पद्य, श्लोक११, पाकाहेम १३७५- पे.क्र.८, पृ. ३, अकलकदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८ - पे.क्र.८, पृ. ८, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६ सिद्धचक्र स्तुति
सं., पद्य, का.१२, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ४१, पृ. १३३मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३८/५५ सिद्धदण्डिकाविचार
प्रा., पद्य, पाकाहेम १५८०९- पे.क्र. १, पृ. १-२, सिद्धदण्डिकाविचारआदि, वि-१६मी, संपूर्ण
___ कुल झे.पृष्ठ-१३ सिद्धन्तजुत्तीप्रकरण
आचार्य-सिद्धसेनसूरि, प्रा., पद्य, गा.७२, आदि वाक्यः नमिऊण महावीरं दव्वाणि कहेमि विगइपमुहाणि... तालाद ३४९- पे.क्र. २, पृ. २B-८A, सिद्धन्तजुत्तीप्रकरणादि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-९४/९६ सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण
आचार्य-देवेन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः सिद्धं सिद्धत्थसुयं नमिउं... पाकाहेम १०५९८, पृ. २, सिद्धपञ्चाशिकाप्रकरण, वि-१६४६, संपूर्ण पाकाहेम १३५७६, पृ. ५, सिद्धपञ्चाशिका सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१९मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १६१८४- पे.क्र. ४, पृ. ६, चतुर्विंशतिजिनस्तुति सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१४७६, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा ४ तक है.
कुल झे.पृष्ठ-७
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