Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

View full book text
Previous | Next

Page 829
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धप्राभृतसूत्र-(सं.)वृत्ति । सं., गद्य, ग्रं.८१५, आदि वाक्यः सकलभुवनेशभूतान्निखिलातिशयान् जिनान् गुरून् स्तुत्वा ।... कृ.विः ससूत्र ग्रन्थाग्र-९५०. अग्गेणियपूवनिस्संदं. पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. १, पृ. १-६८, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५५५- पे.क्र.२, पृ. १-१४?, सिद्धप्राभृतसूत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १००९४- पे.क्र. २, पृ. ३-१५, सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धप्राभृतसूत्र-(सं.)वृत्ति सं., गद्य, ग्रं.८१५, आदि वाक्यः सकलभुवनेशभूतान्निखिलातिशयान् जिनान् गुरून् स्तुत्वा।... कृ.विः ससूत्र ग्रन्थाग्र-९५०. अग्गेणियपूव्वनिस्संदं. पातासंघवी ६८-३- पे.क्र. १, पृ. १-६८, सिद्धप्राभृतटीका आदि, वि-१४४४, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६५५५- पे.क्र. २, पृ. १-१४?, सिद्धप्राभृतसूत्र आदि, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१४ पाकाहेम १००९४- पे.क्र. २, पृ. ३-१५, सिद्धप्राभृतप्रकरण व वृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१५ सिद्धविभक्तिविंशिका सं., पद्य, श्लोक२०, आदि वाक्यः सिद्धानां च विभक्तिः तथैकरूपाणां तत्त्वेन... पुप्रे ४१८ - पे.क्र. ६, पृ. १७०-१७१, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धश्चतुर्दशकव्याख्या सं., गद्य, आदि वाक्यः उवओगे आहारे इत्यस्यार्थ उपयोगेलक्षणो जीवः... भांता ७०- पे.क्र. १२५, पृ. १६९०-१६९B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१४३४. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२ उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सिद्धसारस्वतस्तव जुओ - अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव, आचार्य-बप्पभट्टसूरि, संस्कृत, श्लोक१३ सिद्धसुख वर्णन सं., पद्य, आदि वाक्यः नत्वा त्रिभुवनगुरुं परमानन्तसुखसगतमपि सदा... पुप्रे ४१८- पे.क्र.७, पृ. १७२, विशेषवती आदि, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१७२ सिद्धसेनकथा जुओ - सिद्धसेनदिवाकरचरित्र, प्राकृत सिद्धसेनदिवाकरचरित्र (सिद्धसेनकथा) प्रा., आदि वाक्यः सिरिसिद्धसेण पालित्त मल्ल सिरिबप्पहटिसारिच्छा... पातासंघवी १०६-३- पे.क्र. ५, पृ. १-२९, सुकोशलकथा आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- अपूर्ण. डीवीडी-३३/५१ 812

Loading...

Page Navigation
1 ... 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895