Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 846
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाताहेसं १८०- पे.क्र.२, पृ. ३०४-३५१, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्ति, संपूर्ण पे. नाम- हैमगण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमां हैमबृहद्वृत्ति, अध्याय १-२, आम लख्यु छे. चार चित्रों युक्त, जेमां सिद्धराज जयसिंह हेमचन्द्रसूरिने नवें व्याकरण रचवा विनंती करे छे, हाथीनी अंबाडीए व्याकरण लई जाय छे-विगेरे. डीवीडी-९/१९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण (सिद्धहैमउणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनामुणादीनाम्... पातासंघवीजीर्ण ६०- पे.क्र. १, पृ. १-७६, उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र-१४९ थी १६९ छे., डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ६६-१, पृ.६६, उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र-(सं.)विवरण (सिद्धहैमउणादिगण) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः श्रीसिद्धहेमचन्द्रव्याकरणनिवेशिनामुणादीनाम्... पातासंघवीजीर्ण ६०- पे.क्र. १, पृ. १-७६, उणादिवृत्ति तथा वीतरागस्तव, वि-१२३१, त्रुटक पे. नाम- सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र सह (सं.)विवरण, पे. विशेष- कर्ता अज्ञात. प्रत विशेष- गायकवाड केटलोगमां पत्र-१४९ थी १६९ छे., डीवीडी-५७/६० पातासंघवी ४९- पे.क्र. ३, पृ. ३४४, सिद्धहेमबृहद्वृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका., पेटांक १मां १९४ पेज छे अने पेटांक २मां १५० पेज छे. डीवीडी-२८/४६ पातासंघवी ६६-१, पृ. ६६, उणादिगणसूत्रविवरण, संपूर्ण डीवीडी-३०/४९ पाकाहेम ६७८१, पृ. ५२, हैमउणादिगण स्वोपज्ञविवरणसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-५१ सिद्धहेमशब्दानुशासन-व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य (द्व्याश्रय संस्कृत महाकाव्य), (कुमारपालचरित) आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., पद्यसर्ग२०, ग्रं.२८२८, आदि वाक्यः अर्हमित्यक्षरं ब्रह्म वाचकं परमेष्ठिनः... पातासंघवी २८, पृ. २८४, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्ति- सर्ग १-११ खण्ड-१, वि-१४८५, प्रतिपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२३६, डीवीडी-२४/४२ पातासंघवी १२५, पृ. २७८, द्व्याश्रय संस्कृत २० सर्ग, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २४३-२४५ नथी. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी २९-१, पृ. १-१९९, द्व्याश्रय महाकाव्य सह वृत्तिसर्ग १२ थी सम्पूर्ण- खण्ड-२, वि-१४८६, प्रतिपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-८८५८. , सारी. डीवीडी-२४/४३ 829

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