Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 860
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम ८७०१, पृ. १७, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे खाधेली छे. कुल झे.पृष्ठ-११ पाकाहेम ८७०२, पृ. ५, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८७०३, पृ. ४, सुभाषितसङ्ग्रह, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १३९४१, पृ. ११, सुभाषित, वि-१९मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१२ पाकाहेम १४९८२, पृ. १६, सुभाषित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र १४ मुं डबल छे. कुल झे.पृष्ठ-२० भांका १००- पे.क्र. २, पृ. ६A, संवेगशतक व सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- श्लोक-२. कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका २६८- पे.क्र. २, पृ. २४A, वर्णनासार व सुभाषितश्लोक, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-१६, डीवीडी-९० सुभाषितसारोद्धार सं., पद्य, श्लोक४६५०, पाकाहेम २७१३, पृ. ९४, सुभाषितसारोद्धार, वि-१७मी, संपूर्ण सुभाषितावली प्रा., पद्य, गा.३१, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुभाषितावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुभाषितावली-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम ३७८९- पे.क्र. २, पृ. ४-७, सूक्तावली आदि, वि-१८४२, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३ सुरनारकषड्लेश्याविचार सं., गद्य, आदि वाक्यः सुरनेरइयाण छल्लेसा इति... भांता ७०- पे.क्र. ११०, पृ. १४८B-१४८B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ सुरसेनकुमाररास पण्डित-हर्षराज, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १६१३, गा.८८१, पाकाहेम १०८०३, पृ.३६, सुरसेनकुमररास, वि-१६५२, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २ थी ८ नथी. सुराश्रावकपरिग्रहपरिमाण (परिग्रहपरिमाण) 843

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