Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 864
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी ११३-२, पृ. ११४, सार्धशतकवृत्ति सह, संपूर्ण प्रत विशेष- विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. पत्र १५९ नथी. बाकी छे ते सारां छे, पत्र २२० नथी. डीवीडी-३३/५२ पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. ३, पृ. ४६-६४, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १७०-१, पृ. ११९, सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण प्राकृतविवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अंतमा अपूर्ण-आ विवरण मुनिचंद्रसूरिकृत चूर्णि होवी जोईए. डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १७२-१- पे.क्र.६, पृ. १५९-१९१, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाडी नंबर ५१ आपेलो छे., गाथा-१५५. डीवीडी-३६/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र.८, पृ. ५२आ-६७आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण पे. नाम- सार्द्धशतक, पे. विशेष- संपूर्ण. गाथा-१५२. झेरोक्षपत्र-१५-२०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ भांता ६८, पृ. १२८, सूक्ष्मार्थविचारसार सह विवरण, संपूर्ण प्रत विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है परन्तु ग्रन्थ संपूर्ण है. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-७२/८२ भांता ६९- पे.क्र. ४, पृ. २६०-४३A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१५५. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३. कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम १०३३५, पृ. ३७, सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १६५२५, पृ. ५९, सार्धशतकप्रकरण सटीक, संपूर्ण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(प्रा.)चूर्णी प्रा., गद्य, डतामुक्ता ४५३, पृ. २६, सप्ततिका सार्धशतक चूर्णि, संपूर्ण डीवीडी-१०१/१०२ सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति* आचार्य-चक्रेश्वरसूरि, आचार्य-धनेश्वरसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११७१, ग्रं.३७००, कृ.विः सूचीपत्रोमा बन्ने कर्ताओना नामवाली, समान रचनासंवतवाली स्वतन्त्र प्रतो मळे छे. पाताहेसं १९०, पृ. १५१, सार्धशतकवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- १४९मुं पार्नु नथी. डीवीडी-१०/१९ पाकाहेम १०३३५, पृ. ३७, सार्धशतकप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति प्रथम खरडा जेवी होय तेवी लागे छे. कुल झे.पृष्ठ-३८ पाकाहेम १६५२५, पृ. ५९, सार्धशतकप्रकरण सटीक, संपूर्ण सूक्ष्मार्थविचारसारप्रकरण-(सं.)वृत्ति 847

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