Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती पातासंघवी १३६-२- पे.क्र. १, पृ. १-११, सिद्धसेनदिवाकरचरित्र आदि, वि-१२९१, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ४-५-१० नथी.
डीवीडी-३४/५३ सिद्धसेनीया द्वात्रिंशिका जुओ - द्वात्रिंशद्वात्रिंशिका, आचार्य-सिद्धसेन दिवाकर सूरि, संस्कृत सिद्धहेम उणादिगण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-उणादिगणसूत्र', आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत सिद्धहेम प्राकृत व्याकरण जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय प्राकृतव्याकरण', आचार्य-हेमचन्द्रसूरि,
संस्कृत,प्राकृत सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन अष्टमाध्यायवृत्ति-प्राकृतप्रबोध जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासननो हिस्सो अष्टम अध्याय
प्राकृतव्याकरण-(सं.)प्राकृतप्रबोधवृत्ति, आचार्य-नरचन्द्रसूरि मलधारी, संस्कृत सिद्धहेमचन्द्रशब्दानुशासन-द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य (कुमारपालचरित्र), (द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, श्लोक९५०, पातासंघवी १४२-२- पे.क्र. १, पृ. १-७६, द्व्याश्रय प्राकृत महाकाव्य आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- ग्रन्थाग्र-९५०. प्रत विशेष- आ ग्रंथमां जुदे जुदे ठेकाणे २३ पानां खूटे छे.
डीवीडी-३५/५३ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन (जिनस्तवन सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भ)
सं., पद्य, का.१०, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि
सं.. गद्य, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त
अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन-(सं.)अवचूरि
सं., गद्य, पाकाहेम ९७४२, पृ. १, सिद्धहेमद्वितीय-तृतीयपादसन्धिगर्भजिनस्तवन सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १०६७१, पृ. ३२, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ तृतीयाध्याय तृतीय पादथी चतुर्थाध्यायपर्यन्त
अवचूरिआख्यातवृत्ति अवचूरि, वि-१५३४, प्रतिपूर्ण
प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे. सिद्धहेमबृहद्वृत्तिसारोद्धार जुओ - सिद्धहेमशब्दानुशासन-(सं.)बृहद्वृत्तिनो सङ्क्षप-(सं.)कक्षापट वृत्ति, संस्कृत सिद्धहेमशब्दानुशासन (सिद्धहेमशब्दानुशासनसूत्रपाठ), (हैम व्याकरण), (हैम शब्दानुशासन)
आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, सं., गद्य, आदि वाक्यः अहँ । सिद्धिः स्याद्वादात्। लोकात्। औदन्ताः स्वराः।... पाताहेसं १२७- पे.क्र. २, पृ. १, सिद्धहेमशब्दानुशासन लघुवृत्तिअध्याय ३ पाद ३ थी अध्याय ५, पाद-४, वि
१३७०, प्रतिपूर्ण
डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १३२, पृ. १९०, सिद्धहेमशब्दानुशासन सूत्रपाठ, संपूर्ण प्रत विशेष- लिंग-धातु-गणोणादि सहित.
डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १५४, पृ. २०२, सिद्धहेमशब्दानुशासन स्वोपज्ञबृहद्वृत्ति सह अध्याय-२, पाद ३ थी अध्याय ३, पाद २,
प्रतिपूर्ण
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