Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 807
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती प्रा. गद्य, आदि वाक्य कहं भन्ते सम्मुच्छिममणुस्सा समुच्छन्ति.... " कृ.विः अं.वाक्य-समग्मेहिं पज्जत्तीहिं अपज्जत्तगा अंतोमुहुत्तद्धाओ या चेव कालं करेंति.. भांता ७० पे. क्र. १६०, पृ. २१२, अर्हत्स्तोत्र आदि विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष सूचीपत्र नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१-२५३. पेटाङ्क १७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे. कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५० - २५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे.. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. - कुल झे. पृष्ठ ७६, डीवीडी-७२/८२ सम्यक्त्व चोपई (सम्यक्त्वचतुष्पदिका) उपाध्याय - यशोविजयजी गणि [तपागच्छीय], मारुगूर्जर, पद्य, गा. १२५, तालाद ३९१-१- पे. क्र. २, पृ. ४4-04 आठ दृष्टि स्वाध्याय, वि-१८वी, संपूर्ण पे. विशेष- त्रुटक. गाथा - ५१ तक नहीं है. प्रत विशेष महोपाध्याय श्री यशोविजयजी म.सा. की स्वहस्तलिखित लिपिवाली प्रति सम्यक्त्व बारव्रतकुलक सम्यक्त्वकुलक - - कुल झे. पृष्ठ-८, डीवीडी-९४/९६ तालाद ३९१-४- पे.क्र. २, पृ. ७-११, आठ दृष्टि स्वाध्याय व सम्यक्त्व चतुष्पदिका, संपूर्ण पे. विशेष पत्र- ५ से ७ नहीं है. प्रत विशेष- दो प्रतों को एक साथ रखा गया है जो दोनो अलग-अलग पेटांक रूप में है., पेटांक - १ के पत्र- ४ तथा पेटांक - २ के ७ पत्र है. दोनो पेटांक के पत्र को क्रमशः गिना गया है. कुल झे, पृष्ठ-४, डीवीडी- ९४ / ९६ मारुगुर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १५३४ गा.३४९. पाकाहेम १०२४९, पृ. १६. सम्यक्त्वबारव्रतकुलक, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६ " सम्यक्त्व मूल १२ व्रतोच्चारण विधि जुओ सामान्य व्रतोच्चारण विधि, प्राकृत, संस्कृत सम्यक्त्वकुलक आचार्य अमरचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा. ३५. आदि वाक्य देवो धम्मो मरणो... तालाद ३४३- पे.क्र. ५, पृ. १-५, कर्मप्रकृति आदि ६ ग्रन्थो, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - ७६, डीवीडी- ९४/९६ प्रा., पद्य, गा.२४, आदि वाक्यः वेसागिहेसु गमणं महाविरूद्धं जहा कुलवहूणं..... पाताखेत ६ पे. क्र. १३ पृ. ११८-१२०, उपदेशमालादि ५४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- शुद्ध प्रति. कुल झे. पृष्ठ - ११०, डीवीडी - ६१/६३ सम्यक्त्वकुलक (सम्यक्त्वप्रकरण). ( सम्यक्त्वभेदप्रकरण) (सप्तषष्टि सम्यक्त्वमेद), (समकीत के ६७ मेद) प्रा., पद्य, गा.१७, आदि वाक्यः चउसद्दहण तिलिङ्गं दस विणय ति सुद्धि पञ्चगयदो .... पाताखेत ५- पे. क्र. १३. पृ. १६८-१७१, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष - श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक - १६ एवं २० दोनो पर है. कुल झे. पृष्ठ ९२, डीवीडी-६१/६३ पाताखेत १२ पे. क्र. ३४, पृ. २९४ २९५ गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- ११५ मं पानुं घटे छे. डीवीडी-६१/६३ पातासंघवी १३०-१- पे. क्र. १२, पृ. ६८-६९, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष गाथा - १६. प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे. पृष्ठ-३७, डीवीडी - ३४/५२ 790

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