Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 810
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सम्यक्त्वमूलबारव्रत रास (बारव्रत रास) आचार्य-हीरानन्दसूरि, मारुगूर्जर, पद्य, रचना सं. विक्रम १४९४, श्लोक६७, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. ३०, पृ. ६७-७१, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. सम्यक्त्वरत्नमहोदधि आचार्य-चन्द्रप्रभसूरि, प्रा., पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वरत्नमहोदधि-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वरत्नमहोदधि-(सं.)टीका सं., गद्य, पाकाहेम १०१६९, पृ. ११३, सम्यक्त्वरत्नमहोदधि सटीक, वि-१७मी, अपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ७७मुं नथी. कुल झे.पृष्ठ-११४ सम्यक्त्वविचारस्तवन प्रा., पद्य, गा.२५, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविचारस्तवन-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविचारस्तवन-(मा.गु.)स्तबक मारुगूर्जर, गद्य, पाकाहेम १०३७५, पृ. १, सम्यक्त्वविचारस्तवन सस्तबक पञ्चपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण सम्यक्त्वविषये उपदेश गाथा (उपदेशगाथा सम्यक्त्वविषये) प्रा., पद्य, गा.२६, पातासंघवी १३०-१- पे.क्र. १३, पृ. ६९-७१, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-१ नथी. झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र-३५ नथी. कुल झे.पृष्ठ-३७, डीवीडी-३४/५२ सम्यक्त्वविषये धनश्रेष्ठिकथा जुओ - धनश्रेष्ठिकथा सम्यक्त्वविषये, प्राकृत, गा.८० सम्यक्त्वविषये यन्त्रप्रकरणकथा (यन्त्रप्रकरणकथा सम्यक्त्वविषये), (वज्रकर्णकथा सम्यक्त्वविषये) सं., पद्य, श्लोक९९, पातासंघवी १२९- पे.क्र.२, पृ. २२-३०, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण प्रत विशेष- कोईक ग्रन्थनी व्याख्यागत कथाओ छे? डीवीडी-३४/५२ सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा (विक्रमसेनकथा सम्यक्त्वविषये) सं., पद्य, श्लोक२२३, पातासंघवी १२९- पे.क्र. १, पृ. १-२२, सम्यक्त्वविषये विक्रमसेनकथा आदि , वि-१३३९, संपूर्ण 793

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