Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

View full book text
Previous | Next

Page 812
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सरस्वतीकण्ठाभरण - (सं.) पदप्रकाश वृत्ति (पदप्रकाश वृत्ति) जैन श्रावक - अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र, सं., प्रा., अप., गद्य, पातासंघवी १०२-१, पृ. ३०४ सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२-१००-१०११०५ थी ११०-११६-१३७ थी १३९-१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३-१८४-१८८-१९०-१९११९६-१९७-१९९-२००-२०३-२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी२४९-२५८-२६०-२६४२६५-२६७ थी २७१-२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८ थी २९० २९३-२९५ थी २९८-३०१३०२ नथी. डीवीडी-३३/५१ सरस्वतीकण्ठाभरण-(सं.) पदप्रकाश वृत्ति (पदप्रकाश वृत्ति) जैन श्रावक- अम्बड (भाण्डशाली पार्श्वचन्द्र, सं. प्रा. अप, गद्य, पातासंघवी १०२-१, पृ. ३०४, सरस्वतीकण्ठाभरणवृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ४-५-७-१३-१५ थी १८-२१-२९ थी ३१-४७ थी ५०-५२-५७-५९-६६-६७-७१-७२-१००-१०११०५ थी ११०-११६ - १३७ थी १३९-१४१-१५० थी १५६-१५८-१६०-१७३-१७४-१८३-१८४-१८८-१९०-१९११९६-१९७-१९९-२००-२०३-२०५-२०७-२०९-२११-२१८-२३१-२४३-२४४-२४७ थी२४९-२५८-२६०-२६४२६५-२६७ थी २७१-२७३-२७५-२७६-२७८-२८१ थी २८४-२८६-२८८ थी २९० २९३-२९५ थी २९८-३०१३०२ नथी. डीवीडी-३३ / ५१ सरस्वतीस्तोत्र जुओ अनुभूतसिद्धसारस्वतस्तव, आचार्य बप्पभट्टसूरि, संस्कृत श्लोक १३ सर्वजिन स्तुति प्रा., पद्य, गा. १०, आदि वाक्यः असुरसुरकिन्नरदेवरायवर..... पाताहे १६८- पे.क्र. ९ पृ. १९आ-२०अ दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सुत्रस्तोत्रवृत्ति स्तुति स्तवनादि संपूर्ण " पे. विशेष संपूर्ण झेरोक्ष पत्र-२७-२८. सर्वजिनकल्याणकस्तोत्र प्रत विशेष प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है. कुल झे. पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ गणि-जिनवल्लभ, सं., पद्य, श्लोकट, आदि वाक्यः पुरन्दरपुरस्पर्धि वर्धितर्द्धिमहोदयं .... पाताखेत २३- पे. क्र. १३ पृ. ३३१-३३२, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण डीवीडी-६१/६३ डतामुक्ता ४५७- पे. क्र. २. पृ. २. जिनवल्लभ कृतयः वि १२वी संपूर्ण पे नाम सर्वजिनकल्याणकस्तव, पे. विशेषकुल झे. पृष्ठ-९, डीवीडी- १०१ / १०२ सर्वजिनस्तव (जिनस्तव) सर्वजिनस्तोत्र आचार्य धर्मघोषसूरि, सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः खस्ताशर्मावृतसुमहिमा पाकाहेम ७३८६- पे.क्र. ३ पृ. १, पार्श्वनाथस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तुति (जिनस्तुति) प्रा., पद्य, का. ४, आदि वाक्यः एगे जे अरविन्दचन्द... पाकाहेम १२३६७- पे क्र. ५. पृ. १ पार्श्वनाथशर्मस्तव आदि वि-१६मी संपूर्ण 7 " 795 . पं. हर्षवर्द्धन गणि, सं., पद्य, श्लोक५, आदि वाक्यः श्रीनाभिजात सुमते जिनशम्भवेश ..... पाकाहेम १६१८५- पे.क्र. २, पृ. २अ जिनस्तोत्रद्वय सावचूरि पञ्चपाठ, वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- सर्वजिनस्तोत्र सह अवचूरि कुल झे. पृष्ठ-२ सर्वजिनस्तोत्र-(सं.)अवचूरि

Loading...

Page Navigation
1 ... 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845 846 847 848 849 850 851 852 853 854 855 856 857 858 859 860 861 862 863 864 865 866 867 868 869 870 871 872 873 874 875 876 877 878 879 880 881 882 883 884 885 886 887 888 889 890 891 892 893 894 895