Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 777
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक४३, आदि वाक्यः शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां श्रीरत्नसिंहसूरयः... कृ.विः श्लोक-४० के बाद "अयं अन्यकृतः" ऐसा लिखा हुआ है. पाकाहेम ११०२६- पे.क्र. ३, पृ. ?, आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३५, पृ. ४३-४४, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगामृतपद्धति आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१२२, आदि वाक्यः (१) शिष्याः श्रीधर्मसूरीणां श्रीरत्नसिंहसूरयः...(२) वेरग्गरङ्गसङ्गो लग्गइ सव्वङ्ग चङ्गिमाचङ्गो... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३६, पृ. ४४-४६, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगामृतभावना आचार्य-रत्नसिंहसूरि, सं., पद्य, श्लोक२५, पाकाहेम ११०२६- पे.क्र. २, पृ. ?, आगमतत्त्वचिन्ताभावनाचूलिका आदि, वि-१६मी, संपूर्ण संसक्तनियुक्ति प्रा., पद्य, गा.५०, आदि वाक्यः उसभाय वीरचरिमो सुरासुर नमंसिए पणमिऊणं संसत्तयनिज्जुतिं... पातासंघवी ५९-३- पे.क्र. ६, पृ. १-४, कर्मस्तववृत्ति आदि, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटांक मां पेज जुदा जुदा छे. __कुल झे.पृष्ठ-३२, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. २८, पृ. १८९०-१९४B, सामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १९५, १९७ थी २०० नथी. प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि. कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी ६३-२- पे.क्र. ३, पृ. ७१B-७७B, निरयावली आदि, वि-१३०९, संपूर्ण पे. नाम- संसत्तयनिज्जुत्ती, पे. विशेष- गाथा-५६. १०५ पेज छे. प्रत विशेष- पत्र-१०२+१०५=२०७. झेरोक्ष पत्र-४६ बेवडाएल छे. कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-३०/४९ भांका १२३- पे.क्र. १२, पृ. २४०-२५A, संस्तारकादि प्रकीर्णकसङ्ग्रह, वि-१४९१, संपूर्ण पे. नाम- संसत्तयनिज्जुत्ती, पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१३२४. प्रत विशेष- सूचीपत्रक्रम-१-३१७. प्रतिलेखन पुष्पिका. कुल झे.पृष्ठ-२७, डीवीडी-८५ संसारताराणस्तवन जुओ - मिथ्यात्वपरिहारकुलक, आचार्य-सिद्धिसेनसूरि, प्राकृत, गा.३० संसारदावास्तुति आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं.,प्रा., पद्य, का.४, आदि वाक्यः संसारदावानलदाहनीरं... कृ.विः भाषा समसंस्कृत-प्राकृत. पातासंघवी २०३-२- पे.क्र. ९, पृ. ५१-५२, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण डीवीडी-३८/५५ संसारदावास्तुति-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम २३२८- पे.क्र. ३, पृ. ७-८, वीतरागस्तोत्रादि अवचूरि पञ्चपाठ, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- वृद्धिविजये ज्ञानभंडारमा मूकेली प्रति. कुल झे.पृष्ठ-१० संसारदावास्तुति-(सं.)अवचूरि 760

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