Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand
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कृति उपरथी प्रत माहिती संवेगद्रुमकन्दली
आचार्य-विमलसूरि, सं., पद्य, गा.५२, पाकाहेम ६७१७- पे.क्र.३, पृ.७-८, प्रयोगसमुच्चय सवृत्तिक आदि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१० भांका १७३, पृ.३, संवेगद्रुमकन्दली, संपूर्ण
डीवीडी-८६ संवेगप्रकरण जुओ - संवेगमञ्जरीप्रकरण, आचार्य-देवभद्रसूरि, प्राकृत, गा.३२ संवेगमञ्जरीप्रकरण (संवेगप्रकरण)
आचार्य-देवभद्रसूरि, गुरु-आचार्य-प्रसन्नचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, गा.३२, आदि वाक्यः (१)
सद्देसणमलयानिलमञ्जरियविसुद्धभावसहयारो | जयइ जणाणन्दयरो वसन्तसमउ व्व जिणवीरो ||१||...(२) सन्देसण मलयानिल...
कृ.विः उपदेश प्रकरण? पाताखेत ५- पे.क्र. २१, पृ. २१९-२२२, उपदेशमालादि २१ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- श्रावकविधिकुलक जिनप्रभसूरिकृत पेटांक-१६ एवं २० दोनो पर है.
कुल झे.पृष्ठ-९२, डीवीडी-६१/६३ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १३, पृ. १४६-१४९, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ पाकाहेम १३५१- पे.क्र. २, पृ. २-३, यतिशिक्षापञ्चाशतादि, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम ३८९४- पे.क्र. ६, पृ. ५०-५२, उपदेशरसायनादिसङ्ग्रह, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-६ संवेगमाई (संवेगमातृका)
अप., पद्य, गा.६१, आदि वाक्यः भले भणउ जाणउ परमत्थु, दुलहउ चउविह सङ्घह सत्थु... पातासंघवी ७२-३- पे.क्र. १३, पृ. ११९-१२४, बृहत् सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र १२० थी १२३ नथी.
डीवीडी-३१/५० संवेगमातृका जुओ - संवेगमाई, अपभ्रंश, गा.६१ संवेगरङ्गशाला
आचार्य-जिनचन्द्रसूरि, प्रा., पद्य, रचना सं. विक्रम ११२५, गा.१००५३, आदि वाक्यः रेहइ जेसिं पयमह परम्परा
उग्गमन्त... भांता ४८, पृ. २१४, संवेगरङ्गशाला, अपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-७५३० तक है. अन्त भाग अपूर्ण है.,
कुल झे.पृष्ठ-१६४, डीवीडी-७१/८० भांता ७७, पृ. ३१०, संवेगरङ्गशाला, संपूर्ण
डीवीडी-७३/८२ संवेगरत्नमाला
आचार्य-रत्नसिंहसूरि, प्रा., पद्य, गा.१५०, आदि वाक्यः भावम्मि समाही पुण एगं तेणेव चित्तविजयाओ... पाकाहेम १११५३- पे.क्र. ३७, पृ. ४६-५०, मुनिचन्द्रसूरि-चक्रेश्वरसूरि-रत्नसिंहसूरिकृत प्रकरणसङ्ग्रह, वि-१९७९,
संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३५ संवेगशतक
अप., पद्य, गा.१०७, आदि वाक्यः इह लोईयम्मिक जे जीवो आरम्भ कुव्वई बहुलं... भांका १००- पे.क्र. १, पृ. १B-६A, संवेगशतक व सुभाषितश्लोकसङ्ग्रह, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ संवेगामृतपद्धति
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