Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 784
________________ कृति उपरथी प्रत माहिती सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, ग्रं.७००, कृ.विः देवभद्रसूरिकृतवृत्त्यनुसारिणी. पाकाहेम ७५३२- पे.क्र. ३, पृ. १७-२३, दशवैकालिकावचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-३५ पाकाहेम १०३७२, पृ.७, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-८ सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूरि सं., गद्य, पाकाहेम १०५८१, पृ. ३१, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति उंदरे करडेली छे. पाकाहेम १०५८२, पृ. १६, सङ्ग्रहणीप्रकरण अवचूरि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- देवभद्रवृत्त्यनुसारिणी. सङ्ग्रहणीप्रकरण-(सं.)अवचूर्णि सं., गद्य, पाकाहेम ६९६५, पृ. २७, सङ्ग्रहणीप्रकरण सावचूर्णि त्रिपाठ, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- मूलगाथा-२८१. कुल झे.पृष्ठ-२७ सङ्ग्रहणीप्रकरण गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.३६७, आदि वाक्यः निट्ठवियअट्ठकम्मं वीरं नमिऊण तिगरणविसुद्धं... पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १, पृ. ४७-८१, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण पे. नाम- बृहत्संग्रहणीप्रकरण, पे. विशेष- पूर्ण. गाथा-५२७. प्रक्षेप गाथा के साथ. झेरोक्ष पत्र-९-२६. मात्र ताडपत्रीय पत्र ८० नहीं है. टिप्पणयुक्त विशेषपाठ. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है. कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ८०- पे.क्र. ६, पृ. ?, दृढप्रहारीकथा आदि कथा सङ्ग्रह, अपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. प्रत विशेष- वचमां घणा पानां नथी. डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १२३-२- पे.क्र. २, पृ. १-३७, उपदेशमाला (पुष्पमाला) अने सङ्ग्रहणी, संपूर्ण पे. विशेष- पत्र ५-६ना बब्बे टुकडा छे. डीवीडी-३४/५२ पातासंघवी १६०-१- पे.क्र. १, पृ. १-३६, सङ्ग्रहणी आदि, संपूर्ण पे. नाम- सङ्गहणी, पे. विशेष- गाथा-३५६. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे.पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र.७, पृ. १२४-१५१, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३६६. कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र. ९, पृ. ६८आ-११२आ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण 767

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