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कृति उपरथी प्रत माहिती जाखराज, सं., पद्य, का.३४, पाकाहेम ८७५१, पृ. २, षड्दर्शनसङ्ग्रहसूत्र, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ षड्दर्शनसमुच्चय
आचार्य-हरिभद्रसूरि, सं., पद्य, श्लोक८७, आदि वाक्यः सद्दर्शनं जिनं नत्वा वीरं स्याद्वाददेशकं... वताकांति ४३२-२, पृ. २, षड्दर्शन समुच्चय, संपूर्ण
डीवीडी-९७/९८ पाकाहेम १९५२, पृ. १७, षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१८ भांका १०७, पृ. ४, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, वि-१५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५०. शुद्ध प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १२५, पृ. ६, षड्दर्शनसमुच्चय, संपूर्ण
डीवीडी-८५ भांका १९५- पे.क्र. १, पृ. १A-९A, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, पे. विशेष- अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है.
कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ भांका २८६- पे.क्र. २, पृ. १-३१B, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका
टीका, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण. प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद
का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है.
कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)लघुवृत्ति (लघुवृत्ति)
आचार्य-सोमतिलकसूरि[रूद्रपल्लीय], सं., गद्य, ग्रं.१२५२, आदि वाक्यः सज्ज्ञानदर्पणतले विमलेन यस्य... भांका २८६- पे.क्र. २, पृ. ४२, दृष्टिवाद, षड्दर्शनसमुच्चय सहलघुटीका व तर्कसङ्ग्रह की तर्कदीपिका टीका,
संपूर्ण पे. नाम- षडदर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, पे. विशेष- पूर्ण प्रतिलेखक की भूल से इस कृति में दृष्टिवाद
का प्रारंभिक भाग लिखा गया है. प्रस्तुत कृति की तीसरी कारिका की आधी टीका एवं चौथी कारिका सटीक से अन्त तक का पाठ क्रमशः मिलता है.
कुल झे.पृष्ठ-४२, डीवीडी-९१ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)लघुटीका
सं., गद्य, पाकाहेम १९५२, पृ. १७, षड्दर्शनसमुच्चय सह लघुटीका, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१८ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)अवचूरि
सं., पद्य, आदि वाक्यः (१) श्रीमद्वीरजिनं नत्वा हरिभद्रगुरुंस्तथा...(२) सत् शोभनं दर्शनं शासन
सामान्यावबोधलक्षणं ज्ञानं... भांका १०७, पृ. ४, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, वि-१५१८, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-२५०. शुद्ध प्रति.
कुल झे.पृष्ठ-४, डीवीडी-८४ भांका १९५- पे.क्र. १, पृ. ९, षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि व सत्तानिरूपण, वि-१८९४, संपूर्ण पे. नाम- षड्दर्शनसमुच्चय सह अवचूरि, पे. विशेष- अवचूरि टबार्थ शैली में लिखी गयी है.
कुल झे.पृष्ठ-६, डीवीडी-८७ षड्दर्शनसमुच्चय-(सं.)अवचूरि
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