Book Title: Hastlikhit Granthsuchi Part 2
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Stambhan Parshwanath Jain Trith Anand

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Page 748
________________ पाकाहेम ७७५ पे. क्र. ३३ पृ. ६७-६९ पे. नाम दर्शनसप्ततिका प्रत विशेष- प्रति एक बाजूथी उंदरे करडेली छे, पत्र- ५८,५९ भेगा छे. कुल झे. पृष्ठ-९० श्रावकधर्मविधिप्रकरण - (सं.) वृत्ति कृति उपरथी प्रत माहिती दशवैकालिक आदि सूत्रप्रकरण चरित्र स्तोत्र सङ्ग्रह, संपूर्ण मुनि-लक्ष्मीतिलक, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम १३१७, ग्रं. १५३३१, पाकाहेम ६५८८, पृ. २४० श्रावकधर्मविधिप्रकरण वृत्तिसहित, वि-१५मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- २४० श्रवकधर्मोपरि कथा प्रा., गद्य, कृ. विः अन्तवाक्य सावगधम्मस्सपरमत्थो. पातासंघवीजीर्ण ९२ पे.क्र. ८ पृ. ५०-५० ओघनियुक्ति आदि अष्टप्रकारीजिनपूजाकथानक आदि संपूर्ण पे. विशेष- आद्यन्तभाग अपूर्ण है. प्रत विशेष - जीर्ण- त्रुटक- अव्यवस्थित, झेरोक्ष पत्र बे उपर कथासूची आपेली छे. कुल झे. पृष्ठ - ६४, डीवीडी-५८/६० श्रावकनन्दी जुओ - नवपदप्रकरण - ( सं .) श्रावकानन्दि टीका, आचार्य - जिनचन्द्रसूरि, संस्कृत श्रावकपाक्षिक अतिचार मारुगूर्जर, पाकाहेम ६९३९ पृ. १० श्रावकपाक्षिकअतिचार, वि-१८मी, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १० पाकाहेम ७४९६- पे क्र. १ पृ. १४ श्रावकपाक्षिकअतिचार श्राविकापाक्षिकअतिचार, वि-१६मी संपूर्ण · कुल झे. पृष्ठ-६ पाकाहेम ९५४६- पे.क्र. १५ पृ. १३७-१४६ उपदेशमालाप्रकरणादिसङ्ग्रह आदि वि-१६मी संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ ५१ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण (सावयपण्णत्ति ) वाचक- उमास्वाति, प्रा. पद्य, गा.४०१, आदि वाक्य अरहन्ते वन्दित्ता सावगधम्मं दुवालसविहम्पि.... पातासंघवी १६०-१- पे क्र. २, पृ. १-४६, सङ्ग्रहणी आदि संपूर्ण पे. नाम- सावयपण्णत्ती प्रत विशेष झेरोक्ष पत्र ५० नथी. एटले के मूल पत्र ७९B-८३B नो झेरोक्ष उपलब्ध नथी. कुल झे. पृष्ठ-५१, डीवीडी-३६/५३ भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह दिक्प्रदा टीका, वि-१५९३, संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६, डीवीडी-८४ श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण- (सं.) दिक्प्रदा टीका (दिक्प्रदा टीका ) "" , आचार्य-हरिभद्रसूरि(बृहद्गच्छीय), सं. गद्य, आदि वाक्यः स्मरणं यस्य सत्वानां तीव्रपापौघशान्तये .... भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह दिक्प्रदा टीका, वि-१५९३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ- १६, डीवीडी - ८४ आवकप्रज्ञप्तिप्रकरण- (सं.) दिक्प्रदा टीका (दिवप्रदा टीका) आचार्य-हरिभद्रसूरि[बृहद्गच्छीय], सं., गद्य, आदि वाक्यः स्मरणं यस्य सत्वानां तीव्रपापौघशान्तये .... भांका ८७, पृ. २४, श्रावकप्रज्ञप्तिप्रकरण सह विकादा टीका, वि-१५९३. संपूर्ण कुल झे. पृष्ठ - १६, डीवीडी - ८४ श्रावकप्रतिक्रमणसूत्र (वन्दित्तुसूत्र ), ( प्रतिक्रमणसूत्र - श्रावक ), ( श्रमणोपासकप्रतिक्रमणसूत्र ) प्रा. पद्य, गा. ५०, आदि वाक्यः वन्दित्तु सव्वसिद्धे धम्मायरिए य सव्वसाहू य । .... पाताखेत ३२-२- पे.क्र. २ पृ. १०१-१०९B, उपदेशमाला, प्रतिक्रमणसूत्र, अजितशान्ति, संपूर्ण 731

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