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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पद्मदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ७३- पे.क्र. ९, पृ. ?, बृहत्सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२७२, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-११०. प्रत विशेष- प्रति वर्ष का उल्लेख झेरोक्ष प्रत के पत्रांक-४० में कर्मस्तवभाष्य की प्रति० पुष्पिका में है.
डीवीडी-५८/६० पातासंघवी १७४- पे.क्र. १०, पृ. -१०२-१०८, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. नाम- बन्धशतक पंचम कर्मग्रन्थ, पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-११०. पत्र-१०० व १०४ नहीं है. झेरोक्ष पत्र
३७-४०. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्रांक ७९ अनुपलब्ध है.
कुल झे.पृष्ठ-१५४, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी ६७-१- पे.क्र. ६, पृ. १५६-१७१, उपदेशमाला आदि, वि-१२३७, संपूर्ण
डीवीडी-३०/४९ पातासंघवी १४५-२- पे.क्र. ४, पृ. १०७-११९, पञ्चाशकसूत्र आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-११०.
डीवीडी-३५/५३ पातासंघवी १९३-१- पे.क्र. ४, पृ. ८७-९५, पञ्चाशक आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-१११.
कुल झे.पृष्ठ-८२, डीवीडी-३७/५४ पाताहेसं ११०- पे.क्र.५, पृ. २४अ-३४अ, अतिचारगाथा आदि, संपूर्ण
पे. नाम- शतक, पे. विशेष- पूर्ण. झेरोक्ष पत्र-७-९. ताडपत्रीय पत्र-३१ नहीं है. प्रत विशेष- झेरोक्ष पत्र ३१ बेवडाएल छे.
कुल झे.पृष्ठ-३४, डीवीडी-७/१६ पाताहेसं ११२- पे.क्र. ४, पृ. ६०-६९, कर्मप्रकृतिप्रकरण आदि, वि-१२५८, संपूर्ण
पे. नाम- सयग, पे. विशेष- गाथा-११०. प्रत विशेष- हर्षपुरीय गच्छ में मलधारि अजितसुन्दरी गणिनी ने यह प्रति लिखवायी है. , झेरोक्ष पत्र ४० व
४१ का दो बार झेरोक्ष हुआ है.
कुल झे.पृष्ठ-४६, डीवीडी-७/१७ पाताहेसं ११४- पे.क्र. १८, पृ. १७२-१८०, उपदेशमालाप्रकरण आदि, संपूर्ण पे. नाम- सयगप्रकरण, पे. विशेष- गाथा-११३.
कुल झे.पृष्ठ-७८, डीवीडी-७/१७ भांता ४५- पे.क्र. १, पृ. १-६A, बन्धशतक, बन्धशतकलघुभाष्य व विनेयहिता टीका, वि-१४९०, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-११०. जेरोक्ष पत्र-१-८. प्रत विशेष- सर्वग्रन्थाग्र-३८६६. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका. खरतरगच्छीय आ. जिनभद्रसूरिना राज्यमां आ
प्रत लखवामां आयी. जूनो नं.१८८०?
कुल झे.पृष्ठ-१२०, डीवीडी-७०/८० शतक प्राचीन पञ्चम कर्मग्रन्थ-(प्रा.)भाष्य
प्रा., पद्य, गा.२५, आदि वाक्यः नमिउण वद्धमाणं कइवयगाहाण सयगभासं तु... पाताखेत ४२- पे.क्र.६, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी. डीवीडी-६२/६४
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