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कृति उपरथी प्रत माहिती कुल झे.पृष्ठ-४३ भांका २४७, पृ. ४५, प्रवचनसारोद्वार-विषमपदावबोध टिप्पनक, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३३०३. सुन्दर लिपि व यन्त्रस्थापना सहित. प्रतिलेखन पुष्पिका. सूचीपत्र नं.?.
कुल झे.पृष्ठ-३०, डीवीडी-८९ प्रव्रज्याग्रहणविधि सं., आदि वाक्यः प्रथमं चैत्यभुवने गत्वा प्रदक्षिणात्रयं...
कृ.विः अन्तिमवाक्य-पाउंछणपूठाय पवेयणं पवेयह प्रत्याख्यानं करोति. पाताहेसं १८९- पे.क्र. ३, पृ. १A-७A, दशवैकालिकसूत्रादि प्रकरणसङ्ग्रह, संपूर्ण
पे. नाम- सम्यक्त्वप्रत्याख्यान, व्रतोच्चारादि दीक्षाविधि संग्रह प्रत विशेष- त्रुटक. कुल पत्र-४५+१५९=२०४. इसमें दूसरे क्रम के पत्रांक १८-४६ नहीं है. कुछेक पत्रों पर
बीजक दिया हुआ है. कुछ पत्रों के आधे भाग खंडित हैं.
कुल झे.पृष्ठ-८४, डीवीडी-१०/१९ भांता ७०- पे.क्र.२६, पृ. ३५A-३६B, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमा पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रव्रज्यायोग्यायोग्यविचार
प्रा.,सं., गद्य, आदि वाक्यः अट्ठारसपुरिसेसु वीसं इत्थीसु दस नपुंसेसु... भांता ७०- पे.क्र. २८, पृ. ३७B-३८A, अर्हत्स्तोत्र आदि - विचारसङ्ग्रहपोथी, वि-१३७८, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.३-१५. पत्र-२५२+२-१=२५३., पेटाङ्क-१७३ अन्तर्गत समग्र ग्रन्थप्रमाण आपेल छे.
कुल-४२०० श्लोक. अन्तमां पत्रांक २५००-२५२A उपर प्रतस्थ कृतियोंनी अनुक्रमणिका आपेली छे. विशिष्ट प्रतिलेखन पुष्पिका.
कुल झे.पृष्ठ-७६, डीवीडी-७२/८२ प्रव्रज्याविधानकुलक (प्रव्रज्याविधानप्रकरण) प्रा., पद्य, गा.३०, आदि वाक्यः संसारविसमसायरभवजलपडियाण संसरन्ताण।
कृ.विः गाथा- २४ थी ३५ सुधी मळे छे. पाताखेत १२- पे.क्र. १८, पृ. १९४-१९७, गृहस्थकुलकादि ३४ ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-२८. प्रत विशेष- ११५ मुं पानुं घटे छे.
डीवीडी-६१/६३ पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. ६, पृ. ८१-८४, उपदेशमाला आदि, त्रुटक पे. विशेष- गाथा-३१.
डीवीडी-५७/६० पातासंघवी १६५- पे.क्र. ११, पृ. २१८-२१९-, उपदेशमाला आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अपूर्ण. गाथा-१८ तक है. प्रतिलेखक की भूल से गाथा १५-१६ के बजाय १९-२० लिखा गया है
परन्तु पाठ क्रमशः है. झेरोक्ष पत्र-८३-८४. सूचीपत्र में इसे प्रकीर्णक कृति अन्तर्गत ली गयी है.
कुल झे.पृष्ठ-९०, डीवीडी-३६/५४ पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. १०, पृ. १४१-१४२, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-३३.
डीवीडी-३३/५१ पातासंघवी १३०-२- पे.क्र. २, पृ. ५१-५३, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, वि-१३३०, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२७.
डीवीडी-३४/५२
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