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कृति उपरथी प्रत माहिती पाकाहेम १३७५- पे.क्र.५, पृ. २, अकलङ्कदेवाष्टकादि अष्टको, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम ८६८८- पे.क्र.५, पृ. ५, अष्टकानि आदि, वि-१८मी, संपूर्ण प्रत विशेष- उंदरे करडेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-६ मङ्गलकुलक
प्रा.,मारुगूर्जर, पद्य,
पाकाहेम ११०८२- पे.क्र.५, पृ. १, जीवदयाकुलक आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मङ्गलपाठ स्तुति
सं., पद्य, पाताहेसं १६८ - पे.क्र. ३, पृ. ?, दशवैकालिकसूत्र, पाक्षिक सूत्रस्तोत्रवृत्ति, स्तुति स्तवनादि, संपूर्ण पे. नाम- परचूरन मांगलिक स्तुतियां, पे. विशेष- अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र २६ न होने से कृतियाँ स्पष्ट नहीं हुई
है. इसके अन्दर लगभग ३-४ स्तुतियाँ हैं. प्रत विशेष- प्रारंभिक कुछेक पत्र उभय पार्श्व खंडित होने से पाठ भी खंडित है.
कुल झे.पृष्ठ-७२, डीवीडी-९/१८ मङ्गलवाद
सं..
पाताखेत ३४-२- पे.क्र.२, पृ. ?, नन्दिसूत्र, मङ्गळगाथा, आवश्यकनियुक्ति, अपूर्ण प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा आवश्यकनियुक्ति, चउसरण अने अजितशांति-अपूर्ण-आम त्रणनी माहिती
छे., पत्र-१३५+१५.
डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम १३९३५, पृ. २, मङ्गलवाद, वि-१९मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ पाकाहेम १३९३७, पृ. १, मङ्गलवाद, वि-१९मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ मङ्गलशब्दार्थमयस्तवन
आचार्य-सोमसुन्दरसूरि[तपागच्छ], सं., पद्य, श्लोक६, आदि वाक्यः जय श्रीजिनकल्या...
पाकाहेम १२३७३- पे.क्र. २, पृ. १, पञ्चतीर्थङ्करस्तुति आदि, वि-१६मी, संपूर्ण मङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन जुओ - महावीरमङ्गलशब्दार्थवाचकस्तवन, आचार्य-मुनिसुन्दरसूरि, संस्कृत, का.२४ मङ्गलस्तव (शान्तिस्तव)
सं., पद्य, श्लोक५, पातासंघवी २०६-२- पे.क्र. ५०, पृ. १३८मुं, योगशास्त्र चार प्रकाश आदि, संपूर्ण पे. विशेष- अक्षरो घसायेला छे.
डीवीडी-३८/५५ मङ्गलस्तव
सं., पद्य, श्लोक१४, आदि वाक्यः वीरु पार्श्व नमी सुपार्श्व सुविधि श्रोयो समल्ली शशी... पाताहेसं १६१- पे.क्र. ४९, पृ. ३३३-३३५, दशवैकालिकसूत्र आदि प्रकरण सङ्ग्रह, वि-१३८९, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रान्ते कृतिओनी अनुक्रमणिका आपेली छे.
__कुल झे.पृष्ठ-१७०, डीवीडी-८/१८ मङ्गलस्तोत्र तीर्थवन्दनरूप (तीर्थवन्दनरूप मङ्गलस्तोत्र)
सं., पद्य, का.२५, आदि वाक्यः नित्यश्रीभुवनाधिवासी... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ५२, पृ. २३४, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह, संपूर्ण पे. विशेष- का.१५.
कुल झे.पृष्ठ-३१
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