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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पत्र १ थी १० तथा ६५मुं, पत्र १ तथा २६ थी ४३ सुधी बन्ने पत्रोना अक्षरो जुदा जुदा छे. पुप्रे ४१०, पृ. २४०, भगवतीसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- जेसलमेर लोंकागच्छीय प्रत पर से.
कुल झे.पृष्ठ-२४० पुप्रे ४५३, पृ. ६०५, भगवतीसूत्र, अपूर्ण प्रत विशेष- डभोई जम्बूसूरि म.सा. के भंडार की मूल प्रति की प्रेस कॉपी लालजीवाली.
कुल झे.पृष्ठ-६०५ भगवतीसूत्र-(प्रा.)चूर्णी
प्रा., पद्य, श्लोक३०००, पाकाहेम ८५४, पृ. ३५, भगवतीसूत्रचूर्णि, संपूर्ण पाकाहेम ६५३१, पृ. ५७, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१४९५, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-४७०७.
कुल झे.पृष्ठ-५९ पाकाहेम ६५४९, पृ. ७८, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-७७ पाकाहेम ६७३१, पृ. ८०, भगवतीसूत्रचूर्णि, वि-१५मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३५९०.
कुल झे.पृष्ठ-८० पाकाहेम ९९९९, पृ. ४२, भगवतीसूत्र चूर्णि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- ग्रन्थाग्र-३११४.
कुल झे.पृष्ठ-४२ भगवतीसूत्र-(सं.)टीका (विशेषवृत्ति), (भगवतीसूत्र-(सं.)विशेषवृत्ति)
आचार्य-अभयदेवसूरि, सं., गद्य, रचना सं. विक्रम ११२८, ग्रं.१८६१६, आदि वाक्यः सर्वज्ञमीश्वरमनन्तमसङ्गमग्र्यं
सर्वीयमस्मरमनीशमनीहसिद्धम्। भांता ५०, पृ. ४१५, भगवतीसूत्र वृत्ति, संपूर्ण प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-९३., १ अने ३ खूटे छे., ३८,३८A,१०४A,१०४B डबल छे.
डीवीडी-७१/८० पाकाहेम १०५, पृ. ३७५, भगवतीसूत्रवृत्ति-अपूर्ण, अपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३७५ पाकाहेम १००००, पृ. ३२०, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५७४, संपूर्ण
प्रत विशेष- प्रथम पत्रमा हस्त्यारूढ शासनदेव-देवी सहित समवसरण, आकर्षक चित्र छे. पाकाहेम १४७९३, पृ. ३२९, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५८५, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३३१ पाकाहेम १४७९४, पृ. २९२, भगवतीसूत्र सटीक पञ्चपाठ, वि-१६२०, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५०. पत्र २३०मुं डबल छे.
कुल झे.पृष्ठ-२९७ पाकाहेम १४७९५, पृ. २८३, भगवतीसूत्र सटीक मूल, वि-१५८५, संपूर्ण प्रत विशेष- मूल ग्रन्थाग्र-१५७५२. प्रथम पत्रमा समवसरण, चित्र छे.
कुल झे.पृष्ठ-२८७ पाकाहेम १४८४२, पृ. २००, भगवतीसूत्र वृत्ति, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२०० पाकाभाभा २, पृ. २०४, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१६वी, संपूर्ण
प्रत विशेष- पत्र १४० तथा १६६ डबल छे. पाकाभाभा २२, पृ. ४६८, भगवतीसूत्रवृत्ति, वि-१५६२, संपूर्ण
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