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कृति उपरथी प्रत माहिती गणि-जिनभद्र गणि क्षमाश्रमण, प्रा., पद्य, गा.१०५, ग्रं.१३०, आदि वाक्यः कयपवयणप्पणामो वोच्छं
पच्छित्तदाणसङ्खवं।... कृ.विः हस्तप्रतसूचीओमां जीतकल्प, यतिजीतकल्प अने श्रावकजीतकल्पमा घणी वखत परस्पर
अस्पष्टताओ रहेल छे. पाताखेत ४५- पे.क्र.२, पृ. १-१४१, लिङ्गानुशासनविवरण, जीतकल्पवृत्ति, वि-१२९२, संपूर्ण पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह तिलकसूरीय टीका, पे. विशेष- श्रीमानतुंगसूरिना शिष्य पंडित गुणचन्द्रजीए
सं.१२९२ मां आ प्रत लखावीने आचार्य श्री अभयदेवसूरिने आपेल छे. प्रत विशेष- पत्र-२१८+१४१=३५९.
कुल झे.पृष्ठ-१२८, डीवीडी-६२/६४ पातासंघवी १९- पे.क्र. ९, पृ. ३५८-३६१?, महानिशीथसूत्र आदि, वि-१४५६, संपूर्ण पे. विशेष- गायकवाड केटलॉगमां आनी विगत नथी. , वचमां फाटी गयेला टुकडा छे.
डीवीडी-२२/४१ पातासंघवी ५८-१, पृ. १३०, जीतकल्पसूत्र सह स्वोपज्ञ भाष्य, अपूर्ण प्रत विशेष- पुण्यविजयजी द्वारा संपादित मुद्रित प्रत की तुलना में इस प्रत में मूल व भाष्यगाथाक्रम कम
है. इनकी प्रस्तावना से स्पष्ट होता है कि पुण्यविजयजी ने इस प्रत का उपयोग संपादन में नहीं किया है. आद्यन्त भाग अपूर्ण. मूलगाथा-८ से मिल रही है.
कुल झे.पृष्ठ-८७, डीवीडी-२९/४८ पातासंघवी ६२-२- पे.क्र. १५, पृ. ९६-१०१, सामाचारी आदि, संपूर्ण
पे. नाम- साधुजीत प्रत विशेष- अन्ते चन्द्रशेखरसूरि जन्म पत्रिका आदि.
कुल झे.पृष्ठ-५२, डीवीडी-३०/४९ पाताहेसं १४९- पे.क्र. १, पृ. १-१०४, जीतकल्प चूर्णिसहित आदि त्रुटक-अपूर्ण, अपूर्ण
पे. नाम- जीतकल्पसूत्र सह (प्रा.)चूर्णि प्रत विशेष- गायकवाड केटलॉगमा १०४ पत्रनी आ एकज कृति छे, नवी सूचीमां अहीं नाममां 'आदि'शब्दथी
शुं ग्रहण करवू?
कुल झे.पृष्ठ-२४, डीवीडी-८/१७ पाताहेसं १७३- पे.क्र.६, पृ. १६४-१७५, जीतकल्पसूत्रवृत्ति आदि छ ग्रन्थो, संपूर्ण
डीवीडी-९/१९ भांता ३६- पे.क्र. १, पृ. १-१२, जीतकल्पसूत्र व सिद्धत्थेत्यादिविवरण, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-१०३. सूचीपत्रांक-१-५९१. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.१-५९१, १-५९७.
डीवीडी-६९/७८ अताका ४८८, पृ. ?, जीतकल्प, संपूर्ण प्रत विशेष- पृष्ठ माहिती नथी.(प्राच्य विद्याभवन ताडपत्रीय झेरोक्ष)
डीवीडी-१०३/१०४ पाकाहेम ८५७, पृ. ३५, जीतकल्पसूत्र सह वृत्ति, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३६ पाकाहेम १००५५, पृ. ३, जीतकल्पसूत्र, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- गाथा-१०६.
कुल झे.पृष्ठ-४ पाकाहेम १००५९, पृ. २६, जीतकल्पसूत्र वृत्तिसहित, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२७ पाकाहेम १०३२३- पे.क्र. १, पृ. १-३१, जीतकल्पवृत्तिसहितआदि, वि-१६मी, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र २०मुं डबल छे. वृत्ति रचना संवत १२०० आपेल छे.
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