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कृति उपरथी प्रत माहिती प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाक उपलब्ध नथी.
डीवीडी-६२/६४ पाकाहेम ८४९५, पृ. २, चतुर्विंशतिजिननमस्कार, वि-१७मी, संपूर्ण प्रत विशेष- आदिवाक्य नथी.
कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिननमस्कार
अप., पद्य, श्लोक७५, पाकाहेम १०२२- पे.क्र. २, पृ. ६-७, प्रकरण, स्तुति, स्तोत्रादि सङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- पत्र ६८ थी ७० नथी. इसी भंडार के प्रत नं.१०१२ को भूल से नं.१०२२ लिखा गया था. असल
में १०२२ नं.की झेरोक्ष प्रति नहीं है परन्तु कम्प्यूटर में प्रविष्ट की गयी कृति माहिती सही है. चतुर्विंशतिजिननमस्कार जुओ - सकलार्हतस्तोत्र, आचार्य-हेमचन्द्रसूरि, संस्कृत, ग्रं.२६, श्लोक२४ चतुर्विंशतिजिननमस्कार दण्डक छन्दोमय सं., पद्य, का.२५,
कृ.विः दण्डक-२५. पाकाहेम ११३०८ - पे.क्र. १०, पृ. ७-८, अष्टभाषाबद्धनेमिजिनस्तवन आदि, वि-१६मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-९ चतुर्विंशतिजिनपञ्चकल्याणकस्तोत्र (जिनपञ्चकल्याणक स्तोत्र), (पञ्चकल्याणक स्तोत्र)
मुनि-मुनिचन्द्र, अप., पद्य, आदि वाक्यः नमिवि सिरिवीरजिणपाया सवत्तयं... पातासंघवी १०४-२- पे.क्र. २२, पृ. २१४-२१६, प्रवचनसन्दोह आदि, संपूर्ण
डीवीडी-३३/५१ चतुर्विंशतिजिनप्रबन्ध
आचार्य-राजशेखरसूरि, सं., पद्य, रचना सं. विक्रम १४०५, श्लोक३८००,
पाकाहेम १४९५४, पृ. ६०, चतुर्विंशतिजिनप्रबन्ध, वि-१५मी, संपूर्ण चतुर्विंशतिजिनस्तव
आचार्य-रत्नशेखरसूरि, सं., पद्य, का.२६, पाकाहेम ८४९८- पे.क्र. १, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तव आदि, वि-१७मी, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-२ चतुर्विंशतिजिनस्तव
आचार्य-जयशेखरसूरि, अप., पद्य, आदि वाक्यः सिरिरिसहेसर नाभिराय... पाकाहेम ९०२- पे.क्र. ३९, पृ. २२६-२२७, ओघनियुक्ति आदि अनेक प्रकीर्णक-प्रकरण-कुलक-स्तोत्रसङ्ग्रह,
__ संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-३१ चतुर्विंशतिजिनस्तव
मुनि-जयकीर्ति-शिष्य, सं., पद्यअध्याय२४स्तव, आदि वाक्यः कल्याणकोटि समसेवितमुल्लसन्त... पाकाहेम १७०८७- पे.क्र. १, पृ. १-१५, चतुर्विंशतिजिनस्तुति, संपूर्ण
कुल झे.पृष्ठ-१६ चतुर्विंशतिजिनस्तवन
सं., पद्य, श्लोक४, आदि वाक्यः ऋषभजिनमजितनाथं.. पाकाहेम १०२३- पे.क्र. ३६, पृ. ११२, प्रकरणस्तोत्रादिसङ्ग्रह, संपूर्ण प्रत विशेष- प्रति पाणीथी भींजायेली छे.
कुल झे.पृष्ठ-१४५ चतुर्विंशतिजिनस्तवन
आचार्य-लक्ष्मीसागरसूरि, सं., पद्य, का.२६, पाकाहेम १२२०६, पृ. १, चतुर्विंशतिजिनस्तवन, वि-१७मी, संपूर्ण कुल झे.पृष्ठ-२
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