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कृति उपरथी प्रत माहिती डीवीडी-७/१७ भांता ६९- पे.क्र. २५, पृ. १७५B-१७८A, आगमिकवस्तुविचारसारप्रकरण आदि, संपूर्ण
पे. विशेष- सूचीपत्रांक-१-१२१०. प्रत विशेष- सूचीपत्र-नं.२-१३३.
कुल झे.पृष्ठ-४०, डीवीडी-७२/८२ पाकाहेम २५९६- पे.क्र. ४, पृ. २६-२७, साधुश्रावकसामाचारी आदि, संपूर्ण पे. विशेष- गाथा-२९.
कुल झे.पृष्ठ-७ पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. १, पृ. ?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ,
वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका
कुल झे.पृष्ठ-२१ चतुःशरणप्रकीर्णक-(सं.)टीका
सं., गद्य, पाकाहेम १०४२८- पे.क्र. १, पृ.?, चतुःशरण-आतुरप्रत्याख्यान-भक्तपरिज्ञा-संस्तारकप्रकीर्णक सटीक पञ्चपाठ,
वि-१६मी, संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णक सह (सं.)टीका
कुल झे.पृष्ठ-२१ पाकाहेम १०४५५- पे.क्र.१, पृ. १२, चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति तथा आतुरप्रत्याख्यानप्रकीर्णकवृत्ति, वि-१६०१,
संपूर्ण पे. नाम- चतुःशरणप्रकीर्णकवृत्ति
कुल झे.पृष्ठ-२४ चतुःशरणप्रकीर्णक (चउसरणपयन्ना)(कुशलानुबन्ध्यध्ययन), (कुशलानुबन्धि प्रकीर्णक), (कुशलानुबन्धी अध्ययन), (बृहत् चउसरण), (वृद्धचतुःशरण) गणि-वीरभद्र, प्रा., पद्य, गा.६३, आदि वाक्यः सावज्जजोगविरई उक्कित्तण गुणवओ य पडिवत्ती।...
कृ.विः गाथा-६२ थी ९१ सुधी मळे छे. पाताखेत २३- पे.क्र. ९, पृ. ३२५-३२६, अनेकार्थसङ्ग्रह आदि २५ ग्रन्थो, संपूर्ण
डीवीडी-६१/६३ पाताखेत ४२- पे.क्र. १६, पृ. १, कर्मविपाकादि (प्राचीन) १७ ग्रन्थो, संपूर्ण
पे. विशेष- गाथा-६४. प्रत विशेष- पेटाकृतिओना पृष्ठाङ्क उपलब्ध नथी.
डीवीडी-६२/६४ पाताखेत ३२-१- पे.क्र. ३, पृ. २५-२८, नवपदप्रकरण आदि १० ग्रन्थो, संपूर्ण पे. विशेष- गा.के. मां गाथा २७५ आपी छे पण पत्र संख्या जोतां गाथा-७५ होवी जोईए.
डीवीडी-६२/६४ पातासंघवीजीर्ण ४६- पे.क्र. १६, पृ. २२८मुं, सङ्ग्रहणी आदि, वि-१२८६, अपूर्ण
पे. नाम- कुलाणुवंधज्झयण, पे. विशेष- गाथा-६२. अपूर्ण. झेरोक्ष पत्र-६९-७२. प्रारंभिक १० गाथाएँ नहीं हैं. प्रत विशेष- पेटांकों का क्रम अव्यवस्थित है. दो प्रतों के पत्र इसमें सम्मिलित है. संवत् १३०९ पालनपुर में
संघ के समक्ष आचार्य पदमदेवसूरि द्वारा साध्वी नलिनप्रभा को पढने हेतु यह प्रत दी गयी. प्रतिलेखन वर्ष मात्र ८६ वर्षे इस तरह लिखा हुआ है. अतः११८६ अथवा १२८६ प्रतिलेखन वर्ष होना संभव है. पेटांक में उल्लिखित पत्रवाले कोष्ठक के पत्रांक ताडपत्रीय है.
कुल झे.पृष्ठ-८०, डीवीडी-५७/६० पातासंघवीजीर्ण ४९- पे.क्र. ११, पृ. १२९-१३५, उपदेशमाला आदि, त्रुटक
डीवीडी-५७/६०
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