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धर्म तुम हो है। मन ही बचा। कर कुछ नहीं सकते। सोच बहुत सकते हो, बोल बहुत सकते हो, लेकिन करोगे कैसे? करने के लिए देह का उपकरण चाहिए।
पशु नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास मन नहीं है। और देवता नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास देह नहीं है। केवल मनष्य कर सकता है कछ, क्योंकि उसके पास मन, देह, दोनों हैं। देवता ऐसे हैं-भाप ही भाप, इंजिन नहीं है। पशु-पक्षी ऐसे हैं-इंजिन तो है, भाप नहीं है। आदमी भर ऐसा है कि इंजिन भी है, भाप भी है। चल सकता है, कछ हो सकता है।
तो महावीर की बात देवताओं ने सुनी, खूब साधुवाद किया, लेकिन बस सन्नाटा हो गया। तब महावीर को चलना पड़ा बस्तियों की तरफ, आदमी खोजने पड़े। क्योंकि देवता सुनते रहेंगे, साधुवाद करते रहेंगे, और तो कुछ होगा नहीं। ___ यह एकुदान जंगल में रहते थे, इनसे उपदेश झरता होगा। किया उपदेश, ऐसा कहना ठीक नहीं, झरा उपदेश, ऐसा ही कहना ठीक है। जैन ठीक कहते हैं, वे कहते हैं, महावीर से वाणी झरी। बोले, ऐसा कहना ठीक नहीं, बोलने में तो वासना आ जाती है; झरी, घटी।
और वही उपदेश रोज-रोज था। अब बेला खिलेगा तो बेले की ही गंध निकलेगी न, और गुलाब खिलेगा तो गुलाब की ही गंध निकलेगी। अब तुम यह थोड़े ही कहोगे कि रोज-रोज गुलाब गुलाब की ही गंध दिए जा रहा है, और बेला रोज-रोज बेले का ही संचरण किए जा रहा है। वही तो होगा न जो घटा है। तो एक ही तो सार था, वही सार निनादित होता रहता था। वे रोज वही कहते थे और जंगल पूरा गुंजित हो जाता था। देवता साधुवाद देते थे। देवता कहते, साधु-साधु! सुंदर! श्रेष्ठ! सत्य!
फिर आए ये दो पंडित, जिन्हें बुद्ध के सारे वचन याद थे। बड़े पंडित थे, इनके पांच-पांच सौ शिष्य थे। वे तो समझे कि यह बूढ़ा पागल हो गया है। पंडित तो सदा से यही समझा है कि समाधिस्थ जो है वह पागल हो गया है। पंडित को तो समझ में ही नहीं आती है बात हृदय की। पंडित को तो केवल शब्द ही समझ में आते हैं, शांति समझ में नहीं आती। पंडित को सिद्धांत समझ में आते हैं, समाधि समझ में नहीं आती। तो वे हंसे, एक-दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराए कि यह बूढ़ा, इसका दिमाग गड़बड़ हो गया है। एक तो अकेले में ही रहता है और कहता है, मैं उपदेश करता हूं; अकेले में किसको उपदेश! दूसरी बात, कह रहा है कि देवता साधुवाद करते हैं, कहां के देवता! सब बातचीत है। निश्चित ही यह बेचारा विक्षिप्त हो गया, अकेले में रहते-रहते पगला गया है। __ लेकिन उस बूढ़े ने कहा, आप आ गए तो भला हुआ। मेरा एक ही उपदेश सुनते-सुनते देवता थक भी गए होंगे। आप कुछ उपदेश करें, मैं भी सुन लूंगा, देवता भी सुन लेंगे। उन्होंने उपदेश किया भी, शास्त्र-सम्मत, ठीक-ठीक जैसा होना