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एस धम्मो सनंतनो
हो। अज्ञात को तो खोजा नहीं जा सकता, ज्ञात को ही खोजा जाता है। तुमने एक बार कोई सुख जान लिया तो फिर खोज शुरू होती है, उसके पहले तुम खोजोगे कैसे? ___ छोटा बच्चा है, उसने संभोग का सुख नहीं जाना है, वह कैसे संभोग का सुख खोजेगा? एक जंगल में आदिवासी रहता है, उसने कार नहीं देखी, कार के संबंध में उसे कुछ पता नहीं, वह कभी कार खरीदने के सपने देखेगा? सोचेगा? कोई सवाल ही नहीं उठता। सवाल उठ ही नहीं सकता। हम उसी को खोजते हैं, जिसका हमें थोड़ा अनुभव हुआ।
तो जो यहां आए हैं, परमात्मा को खोजने नहीं आए थे, यहां आने के बाद थोड़ा रस लगा और खोज शुरू हुई। जो यहां आए हैं वे संन्यस्त होने नहीं आए थे। यहां आए और उलझ गए। यहां आए और फंस गए। यहां आए और धीरे-धीरे भूल गए कि संन्यस्त होने नहीं आए थे।
तो हेमा, संन्यास तेरा होगा। तुझे लेना हो या न लेना हो, यह होगा। इससे बचना बहुत मुश्किल है। एक अर्थ में यह हो ही गया है।
तू पूछती है कि 'आपसे संबंध क्या है?' ।
संबंध बन ही गया है। और जब मुझसे संबंध बन गया है तो मेरे रंग में भी रंग ही जाना होगा, देर-अबेर की बात है। थोड़ा समय!
'और मैं आपके पास बार-बार क्यों आती हूं?'
आना ही पड़ेगा। और यह बार-बार आना संन्यासी भी बनाएगा। और परमात्मा की खोज भी शुरू होगी–खोज शायद शुरू हो ही गयी अचेतन तल पर। इसलिए तुझे साफ नहीं है कि क्यों आना होता है बार-बार, मुझे साफ है। भीतर अचेतन में पहले घटना घटती है, फिर चेतन तक खबर आती है; इसमें कभी-कभी महीनों लगते हैं, कभी सालों भी लग जाते हैं, कभी जन्मों भी लग जाते हैं कुछ अभागे लोग हैं जिनको जन्म-जन्म लग जाते हैं इस बात को पक्का पता लगाने में कि जो उनके भीतर हो चुका है, वह क्या हआ है। तझे पता नहीं है अभी।
और तू कहती है कि 'मुझे संन्यास न लेना है, न लेने की इच्छा है।'
इच्छा पैदा हो गयी है, नहीं तो यह प्रश्न भी पैदा न होता। कहीं बीज अंकुरित होना शुरू हो गया है। शायद अभी भूमि के ऊपर नहीं आया अंकुर, अभी भूमि में दबा है, अभी अंधेरे में दबा है, अचेतन में है, लेकिन उठना शुरू हो गया है। और देर नहीं लगेगी, जल्दी ही अंकुर सूरज के दर्शन करेगा। ___ और संन्यास का मतलब क्या है? संन्यास का इतना ही मतलब है कि संसार में जो हमें उपलब्ध है वह काफी नहीं है, कुछ और चाहिए तृप्त होने के लिए। और क्या मतलब है! संन्यास का इतना ही मतलब है कि जो हमारे पास है, उससे संतोष नहीं है, उससे तृप्ति नहीं आ रही है, उससे हृदय गदगद नहीं हो रहा है; कुछ रूखा-रूखा रह गया है, सब है और कहीं कुछ खालीपन है। उस खालीपन के
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