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अकेला होना नियति है समय मौत के आने का ढंग है। समय समझो कि मौत का वाहन है। समय के वाहन पर सवार होकर मौत आती है।
तो समय तो मौत की सेवा में संलग्न है। और जब तक तुम समय में जीते हो, तब तक तुम मौत के अंतर्गत रहोगे, तब तक मौत का तुम पर कब्जा रहेगा।
समाधि का अर्थ होता है, समय के पार हो जाना। इसलिए सारे शास्त्र, सारे जगत के शास्त्र एक बात कहते हैं, समाधि है समय के पार हो जाना। एक ऐसी चैतन्य की दशा, जहां समय बिलकुल मिट जाता है। समय होता ही नहीं, घड़ी चलती ही नहीं। न दिन होती न रात, न कुछ आता न कुछ जाता। कुछ हिलता भी नहीं, कंपन भी नहीं होता, सब ठहर जाता है। ___ जीसस से उनका एक शिष्य पूछता है, मरने के एक दिन पहले, कि आपके स्वर्ग के राज्य में खास बात क्या होगी? और जीसस ने जो उत्तर दिया वह बड़ी हैरानी का है। शिष्य ने तो सोचा भी न होगा कि ऐसा उत्तर मिलेगा। शिष्य ने सोचा होगा कि जीसस कहेंगे कि बड़ा महासुख होगा, आनंद होगा, शराब के चश्मे बहेंगे, सुंदर अप्सराएं उपलब्ध होंगी, कल्पवृक्ष होंगे, उनके नीचे तुम बैठना और मजे करना। आदमी पूछता ही इसी तरह की बातों के लिए है। लेकिन जीसस ने जो उत्तर दिया वह बड़ा अदभुत था। जीसस ने कहा, देयर शैल बी टाइम नो लांगर। वहां समय नहीं होगा। यह भी कोई उत्तर हुआ! शिष्य सुनकर तो ऐसे ही रह गया होगा कि यह भी कोई बात हुई; समय नहीं होगा, इसके लिए इतनी मेहनत करो! समय नहीं होगा, इसमें ऐसा क्या गुण है!
लेकिन सारे जागरूक पुरुषों ने एक बात कही है कि समाधि कालातीत, समय के पार। जीसस का उत्तर बिलकुल ही सौ प्रतिशत सही है। वहां समय नहीं होगा। और जहां समय नहीं है, वहां परमात्मा है। और जहां समय नहीं है, वहां आनंद है, सच्चिदानंद है। और जहां समय नहीं है, वहां अहंकार नहीं है। जहां समय नहीं है, वहां दुख नहीं है, क्योंकि वहां मृत्यु नहीं है। मृत्यु की छाया ही दुख है। जहां समय नहीं है, वहां कोई कंपन नहीं, कोई चिंता नहीं, वहां सब शांति है। वहां कोई अंधड़ नहीं चलते चिंताओं के। वहां परम मौन है। समय नहीं है, ऐसा कहकर जीसस ने समाधि का मौलिक लक्षण कह दिया; समाधि की परिभाषा कर दी। __तो बुद्ध ने कहा, मृत्यु को जीतना हो तो समाधि के अतिरिक्त और कोई मार्ग
नहीं है।
वह युवक भगवान के चरणों में ही रुक गया। उसने लौटकर भी वे पांच सौ गाड़ियां जो नदी-तट पर सामानों से भरी खड़ी थीं, उनकी तरफ फिर नहीं देखा।
कैसी क्रांति हुई! अभी एक दिन पहले वे गाड़ियां ही सब कुछ थीं, उनमें भरा हुआ सामान ही सब कुछ था; रात सो भी नहीं पाता था, वही चिंता पकड़े रहती थी, कोई चोर चोरी न कर ले, कोई नौकर धोखा न दे जाए; रात में उठ-उठ आता था,
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