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सत्य अनुभव है अंतश्चक्षु का अब कृपा के लिए योग्य बनने के लिए क्या करोगे? एक छोटा बच्चा पैदा होता है, वह क्या योग्य, क्या करे? छोटा बच्चा पैदा हुआ है, वह किस तरह से योग्यता अर्जित करे कि मां की उस पर कृपा हो? क्या करेगा? छोटे बच्चे जैसा आदमी है। बच्चा रोने लगता है, मां उसे दूध पिला देती है। ब्राह्मण-संस्कृति कहती है, तुम रोना सीखो। आंसू बहाओ, ताकि परमात्मा तुम्हारी तरफ प्रवाहित होने लगे। जैसे मां बेटे की तरफ जाती है। ___ पूछा है, 'आपने कहा कि आलस्य से भी मार्ग है। वह कैसे? मैं भी आलसी हूं, कृपा कर थोड़ा प्रकाश डालें।'
फिर रोओ, फिर अश्रु बहाओ, फिर शांत बैठो, फिर जो हो होने दो, फिर कहो, प्रभु की मर्जी। जो हो! ध्यान रखना, अच्छा हो तो यह मत कहना, मैंने किया! और बुरा हो तो क्या करें, परमात्मा ने करवाया। फिर तो जो हो, अच्छा कि बुरा, सब उसी ने करवाया।
देखा न टेरेसा को! रही होगी आलसी, आलसी-शिरोमणि! गिर पड़ी तो यही उसने कहा कि यह क्या करवा रहे हो, यह क्या दिखा रहे हो! जरा खयाल तो रखो, मैं बूढ़ी हो गयी, यह तुम्हारा व्यवहार! यह बड़े प्रेम का निवेदन है। जिसने सब छोड़ा है, उसका निवेदन है।
जीसस सूली पर लटके हैं और आखिरी क्षण चिल्लाकर कहते हैं, यह क्या कर रहे हो? क्या तुमने मुझे त्याग दिया? क्या तुमने मुझे छोड़ दिया? यह मुझे क्या दिखला रहे हो? और फिर एक क्षण बाद शांत हो जाते हैं और कहते हैं, नहीं, तुम्हारी ही मर्जी पूरी हो! तुम मत सुनना। मैं क्या कहूं, इसका क्या मूल्य है! तुम जो करो, वही मूल्यवान है।
आलस्य को समर्पण बनाओ। श्रम हो, कर्म हो, तो संकल्प बनाओ। श्रम हो, तो योगी बन जाओ। श्रम की आकांक्षा न उठती हो, श्रम में रस न आता हो, तो भक्त बन जाओ। द्वार प्रत्येक के लिए है। - लेकिन पहली बात ठीक से पहचान लेना-तुम कौन हो? स्वधर्म को ठीक से आंक लेना! स्वधर्म को ठीक से आंककर चला हुआ आदमी कभी भटकता नहीं है।
स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।
आज इतना ही।
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