Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 283
________________ एस धम्मो सनंतनो तं पुत्तपसुसंपत्त व्यासत्तमनसं नरं। सुत्तं गाम महोघोव मच्चु आदाय गच्छति।। जैसे सारा गांव सोया पड़ा हो और नदी में बाढ़ आ जाए, बड़ी बाढ़ आ जाए और सारे सोए गांव को बहाकर ले जाए, ऐसे ही सोए हुए लोग कामवासनाओं में, इच्छाओं में, तृष्णाओं में, मृत्यु की बाढ़ में बह जाते हैं। ‘सोए गांव को जिस तरह बाढ़ बहा ले जाए, ऐसे ही पुत्र, धन, पशु में लिप्त पुरुष को मृत्यु ले जाती है।' जागो! तंद्रा छोड़ो! तृष्णा छूटे तो तंद्रा छूटती है। तृष्णा की शराब ही तुम्हें बेहोश बनाए हुए है। तुम लड़खड़ाकर चल रहे हो। तुम्हें समझ ही नहीं आ रहा, तुम कहां जा रहे हो? तुम्हें समझ नहीं आ रहा, तुम क्यों जा रहे हो? तुम रोज अपने आसपास मौत घटती देखते हो, लेकिन तुम्हें अपनी मौत की याद नहीं आती। जब भी कोई अर्थी निकले, खयाल रखना, तुम्हारी ही अथी निकलती है। ''जब मृत्यु आती है तब पुत्र रक्षा नहीं कर सकते, न पिता और न बंधु लोग ही। जब वह आती है तब जाति वाले भी रक्षक नहीं हो सकते हैं।' न संति पुत्ता ताणाय न पिता नापि बंधवा । अंतकेनाधिपन्नस्स नत्थि जातिसु ताणता।। कोई भी मौत में सहयोगी न होगा। बेटा बाप का सहयोग न करेगा, पत्नी पति का सहयोग न करेगी, पति पत्नी का सहयोग न करेगा, मौत में कोई अपना नहीं। तो फिर कोई अपना हो कैसे सकता है! कहावत है कि दुख में ही मित्र पहचाना जाता है। तो असली दुख तो एक है, मौत। और वहां कोई मित्र सिद्ध नहीं होता, सो पहचान लिए सब मित्र! ये सब मैत्री ऊपर-ऊपर है, ये सुख-सुविधा की बातें हैं, जब तुम मरोगे तो अकेले जाओगे, कोई साथ न जाएगा। कोई न कहेगा कि हम साथ आते हैं, पुरानी मैत्री है, पुराना प्रेम है। उपनिषद कहते हैं, कोई दूसरे को थोड़े ही प्रेम करता है, लोग अपने को ही प्रेम करते हैं। पति पत्नी को इसलिए प्रेम करता है कि पति अपने को प्रेम करता है और पत्नी सुख देती है, सुविधा देती है। पत्नी मर जाएगी तो पति दूसरी पत्नी का विचार करने लगेगा। क्यों मरेगा पत्नी के साथ! पत्नी के लिए थोड़े ही कोई प्रेम था, प्रेम तो अपने लिए था; पत्नी का तो उपयोग था। ___ यहां हम सब एक-दूसरे का उपयोग कर रहे हैं। कोई तुम्हारे लिए यहां नहीं जी रहा है। तुम बिलकुल अकेले हो। जिसे यह बात समझ में आ जाती है कि मैं बिलकुल अकेला हूं, यहां कोई संगी नहीं, कोई साथी नहीं, क्योंकि मौत तो सब 270

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