Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 305
________________ एस धम्मो सनंतनो पीड़ित रहता है कि पानी के पास जाने से डरता है, नदी में डूबकर मरेगा कैसे? और दही खाने वाला इतना कमजोर हो जाता है कि लाठी टेक-टेककर चलता है, कुत्ता उसको काटेगा कैसे? और दही खाने वाला जवानी में मर जाता है, बूढ़ा होगा कैसे? तू बेटा खूब दही खा! कहते हैं, उसी दिन उस युवक का दही खाना छूट गया। मैं भी तुमसे यही कहता हूं, खूब दही खाओ। न तुम्हारी चोरी होगी, न कुत्ता तुम्हें काटेगा, न पानी में डूबकर मरोगे, न तुम बढ़े होओगे। ___वासना से छूटने का एक ही उपाय है कि वासना की पीड़ाओं को ठीक से जान लो। और वासना की पीड़ाओं को जानने का एक ही मार्ग है कि तुम वासना में बोधपूर्वक उतरो। इसलिए मैं तुमसे कहता हूं, वासना से लड़ो मत, भागो मत, जागो। जिस दिन वासना की व्यर्थता साफ हो जाएगी, उस दिन यह सारा जीवन व्यर्थ हो गया। फिर मौत द्वार पर आएगी तो तुम मौत को धन्यवाद दे सकोगे; शिकायत क्या है! मौत तुम्हें मुक्त कर रही है उस सब उपद्रव से जो चल रहा था। मौत तुमसे छीन ही नहीं रही है कुछ, क्योंकि तुम्हारे हाथ में कुछ था ही नहीं। तब तुम मौत का आलिंगन करोगे, अभिनंदन करोगे। और जो व्यक्ति मृत्यु का अभिनंदन करने में समर्थ हो गया, मौत उसके लिए मोक्ष का द्वार बन जाती है। तीसरा प्रश्नः संसार में ईश्वर के खोजी इतने कम क्यों हैं? पहली बात, क्योंकि संसार की खोज पूरी नहीं हो पाती। और जब तक संसार की खोज पूरी न हो जाए, ईश्वर की खोज कैसे शुरू हो? तुम्हारे महात्मा तुम्हारी संसार की खोज पूरी नहीं होने देते, वे तुम्हें अटका रखते हैं। वे तुम्हें अपने ही जीवन में, अपने जीवन के अनुभव में उतरने नहीं देते। वे तुम्हें कच्चा ही वृक्ष से तोड़ लेते हैं, तुम पक नहीं पाते। ___ईश्वर की खोज तो तभी हो सकती है जब संसार बिलकुल व्यर्थ है, आत्यंतिक रूप से व्यर्थ है, ऐसा बोध गहन हो जाए। जब तुम जान लो कि इस संसार में कुछ भी नहीं है; तभी तो तुम किसी और संसार की खोज पर निकलोगे। जब तक तुम्हारा मन यहां अटका है, जब तक तुम्हें लगता है शायद कुछ हो ही, अभी मैंने पूरा खोजा कहां, अभी मैंने पूरा देखा कहां; अभी बहुत कोने अभी अनखोजे रह गये हैं; अभी बहुत सी गलियां अपरिचित रह गयी हैं, तो तुम ईश्वर को खोजोगे कैसे! ईश्वर की खोज का मौलिक अर्थ इतना ही होता है कि संसार की व्यर्थता 292

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