Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 304
________________ सत्य अनुभव है अंतश्चक्षु का हो, बस फिर लोग आ जाएंगे। तुमने देखा न, जिस फिल्म में सब बच्चों को बुलाना हो, उस पर लिख दो-केवल वयस्कों के लिए। सब चले! छोटी उम्र के लड़के दो आने की मूंछ लगाकर पहुंच जाएंगे। अगर वयस्कों के लिए है तो जाना जरूरी है, जरूर कुछ मामला है। निषेध तो वहीं होता है जहां कुछ हो रहा हो। विज्ञापनदाता लिख देते हैं-पढ़ना मना है, विज्ञापन के ऊपर, कृपा करके इसको मत पढ़िये; फिर आप बिना पढ़े आगे नहीं निकल सकते। कैसे निकलेंगे! जितना समझाया साधु-संन्यासियों ने, गुरुओं ने कि दही बहुत बुरा है— उन्होंने बड़े-बड़े आयुर्वेद से उल्लेख किये कि दही के क्या-क्या नुकसान हैं-उतना ही उसका रस दही में बढ़ता गया। आखिर एक बूढ़े आदमी के पास उसे ले जाया गया-रहा होगा बूढ़ा कुछ मेरे जैसा! उसने क्या कहा! उसने कहा-बेटा, दही खाना कभी मत छोड़ना। इसमें बड़े गुण हैं। यह तो लाख दवाओं की दवा है दही। वह बेटा भी चौंका कि इतने दिन हो गये कभी किसी ने यह नहीं कहा, जिसके पास गये वही दही के खिलाफ था, यह बूढ़ा होश में है! मानता तो वह भी था कि खराब है, क्योंकि तकलीफ तो वह भी भोगता था दही के कारण। सर्दी-जुकाम पकड़े रहता, बुखार आ जाता, अभी जवान था लेकिन फीका होने लगा था, दही मारे डाल रहा था। मगर जितना लोग समझाते थे उतनी ही जिद्द पकड़ती जाती थी, उतना अहंकार भी अकड़ता जाता था। इस बूढ़े की बात उसने भी जरा चौंककर सुनी। उसने कहा, क्या कह रहे महाराज! दही में बड़े गुण हैं! उसने कहा, अरे लाख दवाओं की दवा है दही, रामबाण समझो। इसे तुम कभी भूलना ही मत, चूकना ही मत, दुनिया कुछ भी कहे, तुम डटे रहना । उसने कहा, तो जरा बताइये क्या गुण हैं? क्योंकि उसने दुर्गुण तो बहुत सुने थे, उसे एक आदमी नहीं मिला था कभी जिसने कोई गुण बताए हों।। तो उस बूढ़े ने कहा, कौन से गुण! गुण ही गुण हैं। जैसे समझो पहला, एक कि दही खाने वाले की कभी चोरी नहीं होती। वह युवक भी चकित हुआ कि यह भी खूब गुण है, दही खाने वाले की चोरी नहीं होती! दो, कि दही खाने वाले की कभी पानी में डूबकर मृत्यु नहीं होती। उसने देखा कि बूढ़ा पागल तो नहीं है। दही से और पानी में डूबने का क्या संबंध! और तीन, कि दही खाने वाले को कभी कुत्ता नहीं काटता। उसने कहा, आप होश में तो हैं, क्या बातें कर रहे हैं, किस शास्त्र में लिखा है, आयुर्वेद में कहां लिखा है? और बूढ़े ने कहा, सुन, और चार, कि दही खाने वाला कभी बूढ़ा नहीं होता। वह युवक तो बोला कि मैंने बहुत ज्ञानी सुने, मगर आप कुछ अलग ही तरह के ज्ञानी हैं! जरा मुझे विस्तार से समझाइये। यह सुनकर उस बूढ़े ने कहा, सुनो, पहले तो बिलकुल साफ है, सारी बात साफ है। दही खाने वाला रातभर खांसता है, चोर उसके घर में घुस कैसे सकते हैं? इसलिए दही खाने वाले की कभी चोरी नहीं होती। दही खाने वाला सर्दी से इतना 291


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