Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 277
________________ एस धम्मो सनंतनो सदा जवान रहती है। कामना कभी बूढ़ी होती ही नहीं। बूढ़ी हो जाए तो बुद्धत्व करीब आ जाए। कामना सदा जवान रहती है, बूढ़े से बूढ़े आदमी की जवान रहती है। इसलिए यह जो कथा है, कहती है, वह युवक था। वासना सदा युवा है। मरते दम तक युवा रहती है, बूढ़ी होती ही नहीं। ____ मैंने सुना है, मुल्ला नसरुद्दीन एक गांव में से गुजर रहा है, और एक वेश्या को निकलते देखकर उसने सीटी बजायी। वेश्या ने भी कहा, शर्म नहीं आती, बाल सफेद हो गए। तो मुल्ला ने जल्दी से टोपी उठाकर बाल दिखाए, बाल काले थे, वेश्या भी हैरान हुई। उसने कहा कि कल ही तो मैंने देखे थे कि सफेद थे। तो तुमने रंग लिए? रंगने से क्या होगा? मल्ला ने कहा, बाल मत देख. हृदय तो अभी भी काला है। बाल के सफेद होने से क्या होता है? हृदय अभी भी काला है। वासना सदा जवान है। मुल्ला बैठा है अपने छज्जे पर और जल्दी से नौकर को आवाज देता है कि फजलू, मेरे दांत ले आ, जल्दी कर! फजलू भागा दांत लाता है, कहता है, इतनी जल्दी क्या है, अभी कुछ खा-पी भी नहीं रहे हो! उसने कहा कि नहीं, एक सुंदर स्त्री निकलती थी, सीटी बजाना चाहता हूं। अब दांत भी नहीं रहे, अब ये दांत भी नकली हो गए हैं, मगर सीटी तो असली है। __ आदमी के बूढ़े होने से कुछ बूढ़ा नहीं होता। वासना तो जवान ही बनी रहती है। अस्थिपंजर रह जाते हैं, फिर भी वासना जवान रहती है। मौत दरवाजे पर खड़ी हो जाती है, फिर भी वासना जवान रहती है। इसलिए कथा कहती है, युवक। वह युवक था या नहीं, यह बात बड़ी नहीं है। उसकी उम्र कितनी थी यह कथा नहीं कहती है कुछ, कथा इतना ही कहती है, युवक था और वासनाओं में डूबा था। तुम्हारी कथा है यह। ये ही तुम्हारी वासनाएं, भविष्य के सपने-ऐसा करेंगे, वैसा करेंगे। जब तक आदमी संन्यस्त न हो जाए तब तक शेखचिल्ली होता ही है। शेखचिल्ली का अर्थ ही यह होता है कि वह बस पानी के बबूले उठाता रहता है और सोचता है कि संसार निर्मित कर रहा है। बबूले फूटते भी हैं तो भी अनुभव से कुछ सीखता नहीं। बुद्ध ने इस युवक को कहा कि सात दिन बचे हैं तेरी जिंदगी के और, अब तू सोच ले क्या करना है? स्वभावतः, तुम कहोगे, हमारी जिंदगी के सात दिन तो नहीं बचे! कौन जाने, सात भी न बचे हों! या सत्तर बचे हों, इससे क्या फर्क पड़ता है। इससे कुछ भेद नहीं पड़ता है कि तुम कितने दिन जीओगे, एक बात तय है कि मौत होने को है। इस जीवन में मौत के अतिरिका और कोई बात सुनिश्चित नहीं है। और सब चीजें अनिश्चित हैं। धन मिलेगा, नहीं मिलेगा; पद मिलेगा, नहीं मिलेगा; चुनाव जीतोगे कि हारोगे, सब अनिश्चित है, मगर मौत निश्चित है। गरीब की होगी. 264

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