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क्षण है द्वार प्रभु का
अब यह समझ रही है कि पति कोई बड़ा भारी अपराध कर रहे हैं। और निश्चित ही इसकी नजर में यह होगा कि मैं कुछ ऊंची हूं, साध्वी हूं-तमाखू नहीं खाती। __तुम्हें पता है, हिटलर तमाखू नहीं खाता था, सिगरेट नहीं पीता था, मांसाहार नहीं करता था-पक्का जैनी था—शराब नहीं पीता था, और भले आदमी में क्या चाहिए! तुम सोचते हो कि हिटलर स्वर्ग में गया है ? अगर हिटलर स्वर्ग में गया है, तो फिर कोई भला आदमी स्वर्ग जाना पसंद न करेगा। और क्या कमी होती है आदमी में? ब्रह्ममुहूर्त में उठता था। सब तरह सच्चरित्र था। लेकिन यह सच्चरित्रता बड़ी कठोर साबित हुई।
तो पहली तो बात, दूसरे को बदलने की इस तरह चेष्टा मत करना। यह नियत ही खराब है। और फिर दूसरा जब तुम्हारा पति हो, तब तो थोड़ी और दया चाहिए। पति को तो बदलने की चेष्टा करना ही मत, पत्नी को बदलने की चेष्टा करना ही मत। क्योंकि जहां प्रेम का संबंध हो, वहां बदलने की चेष्टा, प्रेम को बहुत बड़ा व्याघात बन जाती है। प्रेम का संबंध मैत्री का संबंध है, यह तो दुश्मनी शुरू हो गयी। . और मैं देखता हूं, अक्सर स्त्रियां इस कोशिश में लगी रहती हैं। उसके पीछे कारण है, जिम्मेवारी पुरुष की भी है। उसके पीछे कारण है। पुरुष ने सब तरह से स्त्री को दबा रखा है। धन उसके हाथ में नहीं है, पद उसके हाथ में नहीं है, प्रतिष्ठा उसके हाथ में नहीं है-उसको सब तरह से दासी बना रखा है। उसकी हालत नौकरानी की कर रखी है। स्वभावतः, स्त्री इससे बदला लेगी। कोई रास्ता निकालती बदला लेने का। उसको कोई सूक्ष्म रास्ता खोजना पड़ता है। वह कहती है, सिगरेट मत पीओ। यह देखकर मुझे एकदम घृणा होती है, मुझे बास आती है। तमाखू मत खाओ। वह कुछ ऐसी तरकीबें खोजती है, जिनको तुम यह भी नहीं कह सकते कि गलत कह रही है—गलत कह भी नहीं रही है। ___ कमजोर हमेशा ऐसी तरकीब खोजता है जो ठीक मालूम पड़े। क्योंकि कमजोर है, तो कमजोर को ऐसी राजनीति करनी पड़ती है कि ठीक भी मालूम पड़े, तुम उसको इनकार भी न कर सको। अब क्या कहोगे तुम! पत्नी बुरा तो नहीं कहती। वह कहती है, फेफड़े खराब हो जाएंगे, सिगरेट पीओगे टी.बी. हो जाएगी। तो तुम्हारे हित में ही कह रही है। कमजोर हमेशा तुम्हारे हित में ही तुमको सताने के उपाय खोजता है।
और गलत तो वह कह ही नहीं रही है, इसलिए तुम विवाद तो कर ही नहीं सकते। तो पति घरों में डरते हए घुसते हैं। घर से भय लगने लगता है। ___मुल्ला नसरुद्दीन एक दिन शराबखाने में बैठा था। उसके पास एक और आदमी बैठा था, दोनों गपशप कर रहे थे। मुल्ला नसरुद्दीन ने उससे पूछा कि तुम्हारा विवाह हुए कितने दिन हुए ? उसने कहा, विवाह! हुआ ही नहीं! मुल्ला ने कहा, बड़ी हैरानी, तो फिर यहां क्या कर रहे हो? उसने कहा, मतलब? उसने कहा कि हम तो पत्नी से बचने के लिए यहां आते हैं, मगर तुम यहां क्या कर रहे हो? इसीलिए मैंने पूछा।
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