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एस धम्मो सनंतनो
ध्यानपरायण बनो, ईश्वर कहां है? किसी दूसरे के सहारे मत बैठे रहो, कोई तुम्हें मुक्त करने न आएगा। उठो, तुम्हारे ही पैरों पर भरोसा करो, अपने आत्मबल को जगाओ, अपने आत्मविश्वास को जगाओ-अप्प दीपो भव, अपने दीए बनो।
बुद्ध कहते हैं, मैंने तो सार-सूत्र कह दिए, इशारे बता दिए, अब तुम यह मत सोचो कि इन इशारों को सुन लिया तुमने तो पहुंच गए। समय मत गंवाओ, समय थोड़ा है। व्यर्थ की बातों में मत पड़ो और बाहर के मार्गों की चर्चा में मत उलझो। क्योंकि जिस चर्चा में तुम उलझोगे, आज नहीं कल उस मार्ग पर चल पड़ोगे। भीतर के मार्ग की चर्चा करो, भीतर के मार्ग के संबंध में विमर्श करो, भीतर के मार्ग के संबंध में एक-दूसरे से समझो-कोई तुमसे दो कदम आगे गया है, कोई दो कदम पीछे है-इस भीतर के मार्ग की, इस भीतर के मार्ग पर खड़े हुए वृक्षों की, इस भीतर के मार्ग पर बने हुए सरोवरों की, इनकी बातें करो।
बुद्ध ने एक छोटी सी घटना को एक बड़े महत्वपूर्ण उपदेश का आधार बना लिया। बुद्ध ने ऐसी ही छोटी-छोटी घटनाओं को बड़े अदभुत प्रसंगों में बदल दिया है। बुद्ध जैसे पुरुष मिट्टी को छूते हैं तो सोना हो जाता है।
आज इतना ही।
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