Book Title: Dhammapada 09
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 241
________________ एस धम्मो सनंतनो करता था, तुमने कभी सोचा भी नहीं था कि यह पागल हो जाएगा। कल तुम भी पागल हो सकते हो। जरा सा मात्रा का भेद है। कोई एक छोटी सी चीज, कहते हैं कि एक तिनका नाव को डुबा सकता है; आखिरी तिनका ऊंट की कमर तोड़ देता है। तुम भी निन्यानबे डिग्री पर चल रहे हो। पत्नी मर गयी, कि दिवाला निकल गया, कि बैंक डूब गयी, कि मकान में आग लग गयी और बीमा नहीं था-जरा सा तिनका-सौ डिग्री से छलांग लगा गए एक सौ एक डिग्री पर, पागलखाने चले गए। ___ फ्रायड क्या करेगा? खींचकर तुम्हें फिर निन्यानबे डिग्री पर ले आएगा। पूर्वदशा में ला देगा, जहां से तुम पागल हुए थे। लेकिन यह पागलपन से छुटकारा नहीं है, क्योंकि पूर्वदशा में आकर फिर तुम पागल हो सकते हो। फिर-फिर पागल हो सकते हो। बुद्ध की व्यवस्था रूपांतरण की है। चित्त से बाहर हो जाना है। चित्त जब तक है तब तक हम जाल में हैं। चित्त बिलकुल ही शांत हो जाए, डिग्री की बात नहीं है। तो जिसको हम कहते हैं मन से भरा आदमी, वही संसारी। और जिसको बुद्ध कहते हैं अर्हत, मन से मुक्त आदमी। ___ मन से मुक्त होना है बुद्ध के मार्ग से। फ्रायड के मार्ग से मन की मुक्ति नहीं है, मन का समायोजन है, फिर से व्यवस्था जुटा लेनी है। सामान वही है, स्थिति वही है, थोड़ी व्यवस्था में अंतर कर लेना है। थोड़ी टेबल यहां रख दी, कुर्सी वहां रख दी, कमरे को फिर से सजा लिया; फर्नीचर वही है। बुद्ध के हिसाब से सारा फर्नीचर अलग कर देना है। विचार मात्र को अलग कर देना है। जब तक विचार है, तब तक पागल होने की संभावना है। निर्विचार कभी विक्षिप्त नहीं हो सकता। जो निर्विचार में प्रवेश कर गया, वह परम स्वास्थ्य का धनी हो गया! फिर यह भी खयाल रखना कि फ्रायड की दृष्टि में कोई पारलौकिकता नहीं है। फ्रायड की दृष्टि में कोई ट्रान्सेंडेंटल, कोई अतिक्रमण करने वाली भावातीत अवस्था नहीं है। बस यही जीवन सब कुछ है। और बुद्ध की दृष्टि में यह जीवन कुछ भी नहीं है। दूसरा जीवन। वही सब कुछ है। शरीर का जीवन कुछ नहीं, मन का जीवन कुछ नहीं, अहंकार का जीवन कुछ नहीं; इन तीनों से मुक्त होकर शून्य के जीवन में प्रवेश करना है—निर्वाण सब कुछ है। ___ संक्षिप्त में कहें तो ऐसा कह सकते हैं-फ्रायड ज्यादा से ज्यादा तुम्हें एकाध रोग से छुटकारा दिलवा दे, बुद्ध तुम्हें जीवन के रोग से ही छुटकारा दिलवा देते हैं। फ्रायड एक-एक रोग का इलाज करता है, बुद्ध रोग की मूल जड़ को काट देते हैं। ___ इसलिए कल देखा न उनका सूत्र, कहा-भिक्षुओ, एक-एक वृक्ष को मत काटो, सारे जंगल को ही काट डालो। एक-एक रोग से क्या लड़ोगे? क्रोध है, काम है, लोभ है, मोह है, मत्सर है, ईर्ष्या है, जलन है, एक-एक से क्या लड़ोगे? पूरा जंगल ही काट डालो। और जंगल काटने का उपाय है-मन को काट दो, सारा 228

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