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एस धम्मो सनंतनो
कर लिया, इक्कीस दिन का उपवास कर लिया, सारे गांव को मात दे दी। कौन तुमसे बड़ा उपवासी! कि तुम नग्न खड़े हो गए, कि धूप-बरसात, सर्दी-गर्मी में तुम नग्न खड़े रहने लगे, तुमने सारे गांव को मात दे दी कि कौन मुझ जैसा त्यागी! मगर ध्यान रखना, अगर तुम्हारी नजर दूसरों पर लगी है, अगर इसमें कहीं भी प्रतियोगिता है, किसी भी तल पर प्रतियोगिता का स्वर है. तो यह राजनीति है।
धर्म अप्रतियोगी है, नान-कांपिटीटिव है। धर्म का कोई संबंध दूसरे से नहीं। और तब ऐसा भी हो सकता है कि जिन लोगों को तुम साधारणतः धार्मिक नहीं कहते, उनमें भी धार्मिक लोग हों। अप्रतियोगी आदमी धार्मिक है। __ समझो कि एक आदमी गीत गा रहा है, और गीत गाते क्षण में उसके मन में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, वह किसी को हराने के लिए गीत नहीं गा रहा है, किसी को पराजित करने के लिए गीत नहीं गा रहा है, उसके भीतर गीत उठा है, वह गीत गा रहा है, तो यह व्यक्ति धार्मिक है। इस गीत गाते क्षण में धार्मिक है।
एक व्यक्ति बैठा बांसुरी बजा रहा है, किसी से कुछ लेना-देना नहीं है। कहीं भी, मन के किसी भी तल पर इस बांसुरी के बजाने की किसी और से कोई तुलना नहीं चल रही है कि मैं दूसरे से अच्छा बजाऊं, तो यह कृत्य धार्मिक है।
एक व्यक्ति चित्र बना रहा है। न पिकासो को हराना है, न डाली को हराना है, न किसी को हराना है। किसी का कोई लेना-देना नहीं है। अपने आनंद से, स्वांतः सुखाय, अपने सुख से चित्र बना रहा है, रंग रहा है, रंगने में बड़ा आनंदित हो रहा है। जैसे अकेला ही हो इस पृथ्वी पर, कोई और है ही नहीं। इस एकांत में जो स्वांतः सुखाय रसधारा बहती है, वही धर्म है।
और तुम अगर मंदिर गए, और तुम प्रार्थना कर रहे हो, और तुम चारों तरफ देखने लगे कि लोग भी देख रहे हैं कि मैं प्रार्थना कर रहा हूं या नहीं, तो अधर्म हो गया। और अगर तुमने यह देखा कि आज कोई भी मंदिर में नहीं है, तो तुमने जल्दी-जल्दी प्रार्थना की कि क्या मतलब है, कोई देखने वाला तो है नहीं; और भगवान तो हैं कहां, पत्थर की मूर्ति खड़ी है, जल्दी करो कि देर करो; कि तुम कुछ-कुछ बीच की पंक्तियां छोड़ भी गए, कौन देखने वाला है, जल्दी से पूजा कर ली और निकल आए। और अगर लोग देखने वाले हुए तो तुमने बड़ी गंभीरता दिखलायी और बड़े डोले और बड़ी आरती चलायी, और काफी देर लगायी, जो दो मिनट में हो जाता काम उसमें बीस मिनट लगाए-इतने लोग देखने वाले थे। और अगर एक फोटोग्राफर भी खड़ा हो और अखबार में खबर छपने वाली हो, तो तुम एकदम तल्लीन हो गए, एकदम महत तल्लीनता में पहुंच गए, मीरा को मात कर दो, ऐसे डोलने लगे, आंसू बहाने लगे-अगर तुम्हारे भीतर ऐसा कुछ चल रहा हो तो प्रार्थना भी अधार्मिक हो जाती है। ___ कोई कृत्य अपने में धार्मिक नहीं होता और कोई कृत्य अपने में अधार्मिक नहीं
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