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एस धम्मो सनंतनो यह मन की प्रक्रिया है। धनी सोचता है, गरीब बड़े मजे में है। शहर में जो रहता है. वह सोचता है, गांव के लोग बड़े आनंद में हैं। अक्सर तुम जो कविताएं देखते हो, जो शहर में रहने वाले कवि लिखते हैं गांवों के संबंध में, कि गांवों में स्वर्ग है, वे रहते शहर में हैं! स्वर्ग है तो तुम्हें कौन रोक रहा है? गांव का कवि नहीं लिखता कि स्वर्ग है वहां, वह तो लिखता है, नरक है। वह तो कह रहा है, किस तरह मेरे गांव में बिजली आ जाए, सिनेमाघर खुले; किस तरह बस चले, ट्रेन निकले; किस तरह हवाई जहाज उड़े; किस तरह यूनिवर्सिटी खुल जाए; वह तो कोशिश में लगा है कि किस तरह यह गांव शहर हो जाए।
शहर में जो बैठा है, बंद कबूतर के पिंजड़ों में, किसी मकान की पच्चीसवीं मंजिल पर कैद है, वहां बैठा-बैठा सोच रहा है-अहा! गांव में कैसा स्वर्ग है! खुले
खेत, हरियाली, स्वच्छ हवा, ताजा सूरज! उसको याद नहीं आता कि और भी चीजें हैं गांव में बरसात की कीचड़ और गोबर से भरे रास्ते, और गंदगी, और धूप-ताप, और गांव के हजार उपद्रव, और बीमारियां और गरीबी और मच्छर, वह सब। मगर उसकी उसे याद नहीं, वह वहां बैठा सोच रहा है-हरियाली, झीलें, चांद-तारे! गांव में जो बैठा है, वह सोच रहा है शहर के मजे-कैसे मजे हैं! बैठा है अपने छप्पर के नीचे, जिसमें से पानी चू रहा है, वह सोचता है—कैसे मजे हैं, शहर के भवनों में लोग मजा कर रहे हैं। गर्मी है, पसीने से चू रहा है, तो सोचता है-कैसे मजे हैं। शहरों में बिजली है और पंखे चल रहे हैं। ___गांव में जो मन है, वही मन शहर में है। विपरीत में आकर्षण बना रहता है। क्योंकि जिसे हमने नहीं जीआ है, हम सोचते हैं, शायद उसे जीने में मजा हो। ___ मैं वर्षों तक बहुत तरह के संन्यासियों, मुनियों और साधुओं के संपर्क में आता रहा। और मैं चकित हुआ जानकर कि उन सबके मन में एक विषाद है कि पता नहीं, सांसारिक लोग मजा न कर रहे हों, सच में मजा न कर रहे हों! उनके भीतर एक भय है कि हम तो छोड़ बैठे-यहां तो कुछ मिला भी नहीं उनको छोड़कर, मिल जाता तो बात खतम हो जाती; मिला नहीं यहां कुछ, जो था वह छोड़ बैठे-पता नहीं, वहां लोगों को मिल ही रहा हो! इसी कारण वे रोज दूसरों को भी समझाए चले जाते हैं कि तुम भी भागो, छोड़ो। यह जो भागने और छोड़ने की उनकी शिक्षा है, यह बहुत गहरे में ईर्ष्या से उठ रही है। इसका जन्म जलन में है।
तुमने सुनी है न उस आदमी की कहानी, जिसकी किसी कारण नाक कट गयी थी। किसी की पत्नी के प्रेम में पड़ गया और पति गुस्से में आ गया और उसने जाकर उसकी नाक काट दी। अब बड़ी मुसीबत खड़ी हुई। __ मगर वह आदमी होशियार था; तार्किक था। उसने गांव में खबर फैला दी कि नाक कटने से बड़ा आनंद हो रहा है। प्रभु के दर्शन हो गए, नाक ही बाधा थी। उसने कहा, यह नाक ही बाधा थी, जिस दिन से नाक कटी उस दिन से प्रभु के दर्शन हो
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