Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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प्रस्तावना : दान गुण की अनुप्रेक्षा
विषयप्रवेश १. दान विचार
२. दान और त्याग में फर्क
विषयानुक्रमणिका
३. दान करने का हेतु ४. दान की मान्यता पर मतभेद
दान का महत्त्व और उद्देश्य
१. मानव जीवन का लक्ष्य
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२. दान का महत्त्व
३. दान पर्व अक्षयतीज
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प्रथम अध्याय
(i) मानव जीवन का लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति
(ii) मोक्ष प्राप्ति में गृहस्थ के चार धर्म
(iii) चारों धर्मों में सब से आसान धर्म-दान (iv) धर्म के चार अंग दान, शील, तप और भाव
(v) धर्म के चारों अंगो में दान प्रथम क्यो ?
(vi) दान की प्राथमिकता के कारण
द्वितीय अध्याय
तृतीय अध्याय
दान की परिभाषा और लक्षण
१. दान की परिभाषा
२. दान और महादान में फर्क
३. दान और संविभाग
डॉ. प्रीतम सिंघवी
४. दान का लक्षण - अहंत्व, स्वत्व और स्वामित्व के विसर्जन की भावना ही दान की सफलता है ।
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