Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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दान के भेद-प्रभेद
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कई बार कई व्यक्ति शास्त्र के उपदेश से या सामान्य व्याख्यान से नहीं मानते, उनका परिवर्तन युक्तियों से हो सकता है। ऐसी युक्ति से सन्त ही ज्ञानदान देकर कुरूढ़िग्रस्त या किसी कुप्रथा के गुलाम बने हुए व्यक्ति को बदल सकते
हैं।
गुजरात के सिंहासन पर कुमारपाल सम्राट आरूढ थे। आचार्य हेमचन्द्राचार्य के वे परम भक्त बने हुए थे। कुमारपाल राजा को अहिंसा की प्रेरणा आचार्य हेमचन्द्राचार्य के निमित्त से मिली थी। परन्तु कुमारपाल राजा के सामने एक समस्या आ खड़ी हुई । गुजरात के चौलुक्य वंशीय क्षत्रियों की कुलदेवी के सामने प्रति वर्ष नवरात्रि के दिनों में सप्तमी, अष्टमी और नवमी को सैकड़ों पशुओं की बलि दी जाती थी। यह हिंसक कुप्रथा वर्षों से चली आ रही थी। चौलुक्य क्षत्रिय माताजी की प्रसन्नता से जितने निर्भय थे, उतने ही उसके कोप से वे भयभीत थे। उनकी दृढ़ मान्यता थी कि माता कुपित होगी तो चौलुक्यवंश नष्ट हो जायेगा, पाटण पर-चक्र के आक्रमण से ध्वस्त हो जायेगा । ज्यों-ज्यों उत्सव के दिन निकट आते गये, त्यों-त्यों क्षत्रियों के दिलों पर भय की घटा छाने लगी। अहिंसक कुमारपाल के सामने धर्म संकट था कि "यह बकरों और पाड़ों की हिंसा कैसे बन्द हो और बन्द हो तो कहीं देवी का कोप न उतर पड़े।"
राजा कुमारपाल को आचार्य हेमचन्द्राचार्य के मार्गदर्शन पर पूर्ण विश्वास था। आचार्य हेमचन्द्र को आसोज सुदी ६ के दिन होने वाली सामन्तों की सभा में मार्गदर्शन के लिए आमंत्रित किया गया । ठीक समय पर सभा जुडी । आचार्य हेमचन्द्राचार्य पधारे । सभी ने खड़े होकर उनका सम्मान किया । सभी पूर्वोक्त समस्या को हल करने के लिए उत्सुक थे और आचार्य के मुखमण्डल पर दृष्टि गड़ाये हुए थे। तभी आचार्यश्री की पवित्र वाणी स्फुरित हुई - "सज्जनों ! माताजी.को भोग देना ही होगा । बलि दिये बिना कैसे काम चलेगा? पशुओं के साथ-साथ इस वर्ष माताजी को मिठाई भी अधिक चढ़ानी होगी। कुलदेवी को प्रसन्न रखना है। माताजी का कोप कैसे सहन होगा। अतः बलि अवश्य दें।" मांसभक्षी पुजारियों के हृदय प्रसन्नता से भर आये । अहिंसोपासक आचार्य की हिंसा के काम में सम्मति ! परन्तु आचार्यश्री के मार्गदर्शन पर सबको विश्वास था। उन्होंने आगे कहा - "बलि दो, पर हाथ रक्त से रँगकर नहीं । जिन जीवों को