Book Title: Dan Amrutmayi Parampara
Author(s): Pritam Singhvi
Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
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दान के भेद-प्रभेद
आचार्यों ने सुपात्रदान का विविध फल बताते हुए कहा – अच्छे मातापिता, पुत्र, स्त्री, मित्र आदि कुटुम्ब-परिवार का सुख और धन-धान्य, वस्त्रअलंकार, हाथी, रथ, महल तथा महाविभूति आदि का सुख सुपात्रदान का फल है। सात प्रकार के राज्यांग, नौ निधियाँ, चौदह रत्न, माल, खजाना, गाय, हाथी, घोडे, सात प्रकार की सेना, षट्खण्ड का राज्य और ९६ हजार रानियाँ, ये सब सुपात्रदान के ही फल है । उत्तमकुल, सुन्दररूप, शुभलक्षण, श्रेष्ठ तीष्ण बुद्धि, उत्तम निर्दोष शिक्षण, उत्तम शील, उत्कृष्ट गुण, सम्यक् चारित्र, शुभ लेश्या, शुभ नाम और समस्त प्रकार के भोगोपभोग की सामग्री आदि सब सुख के साधन सुपात्रदान के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं - वास्तव में सुपात्र दान का फल महापुण्य के रूप में मिलता ही है, किन्तु कर्मों की महान निर्जरा (कर्मक्षय) के फलस्वरूप एक दिन मोक्ष भी प्राप्त हो सकता है। १. रयणसार १९/२०/२१