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(३०.३ पाठशालामें जमा कराने का भार उनपर रखा वह उन्होंने सहर्ष स्वीकार करने की कृपा की। ११) सि. मूलचंदजी ने भी मध्यप्रान्त, राजस्थान तथा विदर्भ क्षेत्रके मंदिरों तथा १०८ पूज्य श्री मुनिराजों
के करकमलोमेंभी अर्पण करनेका भार सहन करने का आश्वासन देकर मुझे कृतार्थ किया । इस भारी प्रकाशन कार्य के संपादन करनेमे भी जब मेरा उत्साह गिरते देखा तब भी मेरे उत्साह को नही गिरने दिया। निरंतर मुझे प्रोत्साहित करते रहे । इन दोनों सज्जनोंकी प्रेरणासेहो यह भारी काम सहज रुप सम्पन्न हो सका है। में इन दोनों महाशयोंकाभी पुनः आभारप्रदर्शन करता हूँ।
समाज सेवक -विषय-सूची
ब्रम्हचारी उल्फतराम अन
प्रकाशक, रोहतक (हरियाणा) विषय पुस्तक का पन्ना नं. विषय
पुस्तक का पन्ना नं. मंगलाचरण १) औदयिक भाव २१
२३)
२३ ३४ स्थान नाम के उत्तर भेद कोष्टक संख्या २) पारणामिक भाव ३ ३४ स्थान उत्तर भेद को नामावली
अवगाहना
सामान्यजीव नामावली गण स्थान नाम व स्वरुप १४ जीवसमास
१२) मिथ्यात्व गुण स्थान ६ पर्याप्ति
१३) सासादन १० प्राण
१३) मिश्र
अव्रत ४ संज्ञा १४ मार्गणा
देश वृत ॥ " ४ गति मार्गणा
प्रमत्त " ॥
मंत्रमत्त ५ इंद्री मार्गणा
॥
अपूर्व करण । । ६ काय ,
अनिवृति करण गुण स्थान १५ योग ,
सुक्ष्म सापराय ॥ ॥
७० ३ वेद ।
उपशांत मोह । ३५ कषाय मागंणा
१६)
।
क्षीण मोह , " ८ज्ञान
सयोग केवली , " ७ संयम
अयोगकेवलो " ४ दर्शन ,
अतीत
(सिद्ध भगवान) ६ लेश्या मार्गणा
नरक गति २ भव्य
त्रियंच ६ सम्यक्त्व । २ संजी
मनुष्य "
॥ ॥ २ आहारक ,
गतिरहित (सिद्धगति)
१७२) १६ ध्यान
एक इंद्रीय
१७४) ५७ आश्रव २१) दो ॥
१८० ५३ भाव २२) तीन,
१८५ २ औपशमिक भाव
चार,
१९० ९क्षायक भाव २२) असंज्ञी पंचेंद्री
१९५ १८क्षयोपसमिक भाव २२) संज्ञी पंचेंद्री
२००)
७८)
८१
१७)
११३)
देव
१२ उपयोग
२२)