________________
सक्कत्थयाऽऽइ दंडे = शक्रस्तवादि पाँच दंडक सूत्र में, पणिहाणेसु =प्रणिधान सूत्रो में, अदुरुत्तवन्न= दूसरी बार उच्चारण नही किये गये अक्षर, सोल-सय-सीयाला - सोलह सौ सेंतालीस ॥ २६ ॥२७॥
गाथार्थ :- अडसड, अट्ठावीस एक सौ निन्याणु, दो सौ सत्ताणु, दो सौ उगणतीस, दोसो साठ, दोसो सोलह एक सौ अट्ठाणु, एक सो बावन, ||२६|| इस प्रकार, नवकार, खमासमण इरियावहिया, शक्रस्तवादि दंडकों में और प्रणिधान सूत्रों में दूसरी बार उच्चारण नही किये गये सोलह सौ सैंतालीस अक्षर (वर्ण) होते है।
विशेषार्थ :- यहाँ नवकार अर्थात् पंच मंगल महाश्रुतस्कंध सूत्र हवइ मंगलं तक कितनेक गच्छ के आचार्य अनुष्टुप छंद के प्रत्येक पाठ में आठ अक्षर होने चाहिये इस प्रकार | मानते है । यहाँ चोथे पाद में नव अक्षर होने से छंद दोष मानकर हवइ के स्थान पर होइ पद स्वीकार करते हुए नवकार के ६७ अक्षर मानते है ।
लेकिन महानिशीथ सूत्र में नवकार के ६८ अक्षर गिनाये है। तथा मंत्राक्षर तरीके अलग अलग रचनाओं के ध्यान में ६७ अक्षर ले तो एक अक्षर न्युन हो जाता है । तथा अनुष्टुप छंद में ९ अक्षर के पद अनेक बार महाकविओं की रचनाओं में भी देखने में आते है। तो फिर आर्य ऋषि महात्माओं की रचना में हो तो इसमें आश्चर्य क्या ?
खमासमण छोभवंदन सूत्र, इरियावहिया प्रतिक्रमण श्रुत स्कंध - इच्छामिपडिक्कमिउं | से ठामि काउस्सग्गं तक (अन्नत्थ बिना) नमुत्थुणं को शक्रस्तव अथवा प्रणिपात दंडक कहा जाता है। और वो सव्वे तिविहेण वंदामि तक समझना । चैत्यस्तव दंडक अरिहंत चेड़आणं से अन्नत्थ ऊससिएणं संपूर्ण जानना । लोगस्स को नामस्तव और सव्वलोए इन चार अक्षर सहित जानना । पुवखरवर को श्रुतस्तव और उसे सुअस्स भगवओ इन ७ अक्षर सहित जानना ।
सिद्धाणं बुदाणं उसे सिद्धस्तव कहा जाता है। और उसके १९८ अक्षर सम्मं दिट्ठी - समाहिगराणं तक गिनना । पाँच दंडक के अदिरुक्त अक्षर १२०० होते है। तीन प्रणिधान सूत्रों में जावति चे.- जावंतकेवि और जयवीयराय की आभवमखंडा तक की दो गाथा ही
समझना ।
इस प्रकार 3 सूत्रों के वर्ण १६४७ होते है ।
भाष्य की अवचूरि में कहा है कि वारंवार उपयोग में आनेवाले अन्नत्थ० सूत्र के वर्ण सहित २३८४ अथवा "उड्डुएणं" पाठ से २३८९ अक्षर होते है । और इस प्रकार दूसरी बार बोलने पर नमुत्थुण के २९७ अक्षर जोडने पर २६८१, उड्डुएणं पाठ के आधार से २६८६ अक्षर होते है । शेष स्तुति और स्तोत्रादिक के अक्षरों की नियत संख्या नही होने से उनके वर्ण की गणना नही की ।
28