Book Title: Bhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Author(s): Amityashsuri
Publisher: Sankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth

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Page 214
________________ मायाजाल स्वरुप लगने लगी । जब यशोमति को इसका आभास हुआ तो अपनी सरिवयो से ये बात कही । सरिवयों ने सुभद्रा शेठानी को सारी बात कही। शेठानी को चिन्तित देखकर शेठ ने पूण | जब जाना कि धम्मिल संसार से विरक्त बनगया है। यह जानकर दोनो ही बहुत चिन्तित गुए। विचार करने लगे पुत्र को व्यवहार मार्ग की जानकारी नहीं है, लोगों में भी वो मूर्ख गिनाजाता है। कालान्तर में शेठ के मना करने के बावजूद भी शेठाणि ने धम्मिलको जुगारीयोंको सौंप दिया । खराब संगति के कारण बह वैश्यागामी बन गया । माता प्रतिदिन वैश्या की याचना के अनुसार धन भिजवाती रहती है। एक दिन वैश्या के यहाँ से शेठाणी ने धम्मिल को घर बुलवाने केलिए नोकर को भेजा, लेकिन वह नही आया । पुत्र के वियोग में शेठ शेठाणी मृत्यु को प्राप्त हुए। धन भी समाप्त हुआ | यशोमति निर्धन बन गयी, वहाँ से अपने पिता के वहाँ चलीगयी। वसंतसेना वेश्याने धम्मिल से धनप्राप्ति बंध होने के कारण घर से निकाल दिया। इधर उधर भटकते भटकते उसे श्री अगड़ दत्त महामुनि मीले । मुनि उसे प्रतिबोध करने के लिए उपदेश दिया । मुनिसे प्रति बोधित होनेपर भी उसने कहा हे भगवन्त मुझे अभी भी सांसारिक सुख भोगने की इच्छा हैं, अतः मेरी ईच्छा पूर्ण हो वैसा उपाय बताने की कुपा करे बाद में आप कहेंगे वो करुंगा, गुरुने कहा की मुनि संसारिक सुख का उपाय नही बताते है। फिर भी भावि परिणाम इसमे आश्रव संवर रुप बनने वाला है अत: उपाय दर्शाता हूं - 'तुंछ मास तक चउविहार आयंबिल तप करना व द्रव्यं से मुनिवेष धारण करना, दोष रहित गोचरी लाना, मुनिधर्म का पूर्ण पालन करना, नव लाख नवकार मंत्र का जाप करते मेरे द्वारा बताया हुआ षोडशाक्षरी मंत्र का जाप करना इस प्रकारछ मास साधना करने पर तेरी ईच्छा पूर्ण होगी'। (अगड़ दत्त मुनिव्दारा बतायी गयी विशेष विधि - धम्मिल कुमार चरित्र से जानना) - धम्मिलकुमार ने गुरु भगवन्त के निर्देशानुसार तप-जप किया, तप के प्रभाव से देवप्रसन्न हुआ, मुनि वेष का त्याग करवा कर देव ने उसकी ईच्छा को पूर्ण किया । पूर्वोपार्जित अशुभ कर्म साथ अनेक प्रकार के सांसारिक सुखो की प्राप्ति हुई। -205)

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