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भावार्थ:- विशेष यह है कि अन्न, सह विगेरे शब्द संपूर्ण पद नहीं हैं । लेकिन पदों के अंश हैं । फिर भी अर्थ में संपूर्ण पद लेना चाहिये । तथा 'नवकारसी प्रत्याख्यान अति अल्प कालका याने १ मुहूर्त (सूर्योदय से २ घड़ी) तक का ही है । उसी कारणसे उसमें अशक्य परिहार वाले दो आगार अल्पसमय के हैं। पोरिसी आदि प्रत्याख्यान विशेष काल प्रमाण वाले होने के कारण उन में आगार भी विशेष रखने पड़ते हैं।
"|| इति प्रथम स्थान के अध्धा प्रत्याख्यान आगार॥" अवतरण :- इस गाथा में तीसरे स्थान में गिनेजाने वाले एकाशन, बिआशन, और एकलठाण के आगार दर्शाये गये हैं।
अन्न सहस्सागारि अ , आउंटण गुरु अ परि मह सव्व । एग-बिआसणि अह उ, सग इगठाणे अउंट विणा ||१|| शब्दार्थः- गाथार्थ अनुसार सुगम हैं।
गाथार्थ :-अन= अन्नत्थणा भोगेणं, सह-सहसागारेणं, सागारी-सागारि आगारेणं, 'आउंटण = आउंटण पसारेणं गुरु-गुरु अब्भुट्टाणं, पारि = पारिहावणिया गारेणं, मह = महत्तरा गारेणं, सव्व = सव्व समाहि वत्तिया गारेणं, ये आठ आगार एकासने और बिआसने में होते हैं । और एकलठाण में आउंटण पसारेणं इस आगार के विना शेष सात आगार होते हैं | ||१९||
१. प्रश्न:- उग्गए सूरे नमुक्कारसहियं पच्चक्खाइ । चउविहंपि आहार असणं पाणं खाइमं साइमं । अन्नत्थणाभोगेणं सहसा गारेणं महत्तरागारेणं सन्वसमाहिवत्तिया गारेणं वोसिरह। इस प्रकार नतकारसी के प्रत्याख्यान के आलापक में ४ आगार दर्शाये हैं। इसका कारण?
उत्तरः- ये प्रत्याख्यान सिर्फ नवकारसी का ही नहीं है, साथ में मुहिसहियं का प्रत्याख्यान भी है । नवकारसी अध्धा पच्च० है, और मुडिसहियं हि संकेत प्रत्याख्यान है । संकेत प्रत्याख्यान के ४ आगार है, नवकारसी के तो दो ही आगार हैं । अर्द और संकेत दोनों प्रत्याख्यानों के संयुक्त रूप ४ आगार नवकारसी के प्रत्याख्यान में दर्शाये गये हैं। हीक वैसे ही पोरिसी और सार्धपोरिसी के आलापकों में भी मुडिसहियं संकेत प्रत्याख्यान होने कारण महत्तरा गारेणं
आगार आता हैं। ____. (आउंटणपसारेणं = ये आगार अंग-उपांगको संकुचित और प्रसारने की छूट के लिए है। और एकलठाण में अंगोपांग को हलन - चलन की छूट नहीं है, इस लिए ये आगार नही लिया)
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