Book Title: Bhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Author(s): Amityashsuri
Publisher: Sankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth

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Page 193
________________ AAMRATIONume ____२. गुलपानक :- उकाला हुआ गुड का पानी उसे गुलपानक या 'गुलवाणी । कहते हैं। : ३. पनवगुड :-गरम किया हुआ गुड , पलवगुड कहलाता है । ४.शक्कर :- जिसका लेप खाजे विगेरे के ऊपर किया जाता है, (अर्थात गुड की चासनी) व सर्व प्रकार की शक्कर उसे शक्कर-खांड कहते हैं । . .'अर्थक्वधित ईक्षरस':- गन्ने के रस को गर्म करने पर आधे भाग जितना शेष रहता है उसे अर्धवधित ईक्षुरस कहते हैं । संर्पूण उकालने पर गुड बनता है, अतः अर्धवधित कहा है । इस प्रकार ये पाँच नीवियाते गुड के हैं। - अवतरण:- इस गाथा में पळवान्न विगई याने कडाइ विगई के पाँच नीवियाते | दर्शाये गये हैं। पूरिय तवपूआ बी-अपूअ तन्नेह तुरियघाणाई । गुलहाणी जललप्पसि, अ पंचमो पुत्तिकय पूओ ||३|| . शब्दार्थ :- पूरिय = पूराय (वैसा), तव-तवी-कड़ाई, पूआ-पूरी, पूड़ा, बीअपूअ-दूसरी-पूरी-पूड़ा, तन्नेह-तत्स्नेह, उसी घृत (में) अथवा उसी तेल (में तला हुआ), तुरिय=चोथा, घाण घाण, गुलहाणी-गुल धाणी, जललप्पसि-जल लापसी, पंचमो-पांच वा निविथाता पुत्तिकय पोतकृत(पोता देकर बनाई हुई) ___ गाथार्थ:- तवी पूराय वैसी (तवी के बराबर) प्रथम पूरी, दूसरी पूरी, तथा उसी | तेलादिक में तला हुआ चोथा आदि घाणं, गुलधाणी, जललापसी, और पोता दिया हुई पुरी पांचवा नीवियाता है। ॥३५॥ .... . --- १. खट्टे पूइले खानेके लिए गुडका पाणी उकालने में आता है जिसको गलमाणा बोलते है । २. संपूर्ण गन्ना का रस को उबालने से गुड बन जाता है। इसलिए अर्थक्वथित कहा है। प्रश्न :- अर्थ उकाला हुआ ईक्षुरस अविगई होता है, फिर तो संपूर्ण उकालाहुआ ईक्षुरस का बना हुआ गुड़ तो अविगई ही होता है, फिर उसे विगई क्यों कहा ? . उत्तर:- ईक्षुरस से बनाहुआ गुड़ तो ईक्षुरस से द्रव्यान्तर (=अन्यद्रव्य) द्रव्य है। अतः गुड़ में तो में गुड़ के अनुसरने वाले याने विगईभाव उत्पन्न हुए हैं। उस में द्रव्यान्तरोत्पत्ति (भिन्न द्रव्य का उत्पन्न होना) यही हेतु लगता है। उस समय प्रथम के ईक्षुरसका विगई भाव तो संपूर्ण नष्ट हुआ लगता है। (इत्यादि यथायोग्य विचार करना) -184) Music

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