Book Title: Bhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Author(s): Amityashsuri
Publisher: Sankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth

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Page 204
________________ निकालकर उन्मादक द्रव्य बनाया जाता है , वही काष्ट मदिरा कहलाती है। गन्ने विगेरे की मदिरा स्कंध मदिरा में,महुडे की मदिरा पुष्प मदिरा में, तथा द्राक्ष विगेरे की मदिरा फलमदिरा कही जाती है। इस प्रकार वनस्पति के अन्य अंगो की मदिरा भी यथासंभव समजना | तथा जुवार विगेरे का पिष्टयाने आटे को उबालकर उसमें से उसका सत्व निकालकर मादक द्रव्य बनाया जाता है उसे पिष्ट मदिरा कहीजाती है। ____ मछली-मत्स्य-कच्छुए-विगेरे जलचर जीवों का मांस-जलचर मास, मनुष्य, गाय, भेस, हिरण, विगेरे स्थलचर जीवों का मांस-स्थलचर मांस तथा चिड़िया, मूर्गे, कबूतर, हँस विगेरे पक्षीओं का मांस खेचर मांस कहलाता है। अथवा शास्त्र में रुधिरचरबी-और चर्म (चमड़ी) इस तरह भी तीन प्रकार का मांस कहा है। तथा घृत के समान मक्खन भी ऊंटड़ी के विना मक्खन चार प्रकार का है। क्योंकि ऊंटड़ी के दूध का मक्खन व घी नही बनता है। मक्खन छास से अलग किया हो तब ही अभक्ष्य कहा गया है। ॥ अभक्ष्य ४ महा विगई ॥ ये चारों ही विगईयाँ इन्द्रिय और मनको विकार उत्पन्न करने वाली है, अतः महा विगई कहलाती है। तथा इनमें बहुत सारे स्थावर व त्रस जीवों की उत्पत्ति होती है। इसी कारण से ये अभक्ष्य विगई साधु व श्रावक को भक्षण करने योग्य नहीं है। कहा है कि.. आमासु य पळासु य, विपच्चमाणासु मंस पेसीसु | सययं चिय उववाओ, भणिओ अ निगोयजीवाणं ||१|| गाथार्थ:- कच्ची मांसपेशीयाँ में, (=कच्चे में) पकाये हुए मांस में, तथा अग्नि के ऊपर सेके हुए (=पकाये हु) मांस में, इन तीनो ही अवस्थामें निश्चय निगोद जीवों की (अनंत बादर साधारण वनस्पति काय के जीवों की निरन्तर (प्रतिसमय) उत्पत्ति कही है। इस प्रकार मांस में जबकि अनन्त निगोद जीवों की उत्पत्ति होती है, तो दिन्द्रियादि असंख्य त्रस जीवों की उत्पत्ति तो स्वाभाविक होति ही है। तथा मांस में तथा जरा जन्म और मृत्यु से भयंकर ऐसे इस भवसमुद्र से उद्वेग पाये हुए चितवाले मुनिओं के लिए (असाधुओं का आचरण) प्रमाण नहीं है। जिस कारण से दुःखरुपी दावानल की अग्नि से तप्त ऐसे जीवों को संसार रुपी अटवी में श्री जिनेश्वरकी आज्ञा के अलावा अन्य कोई उपाय (प्रतिकार) नही है अन्य अभक्ष्यों की तरह अन्तर्मुहर्त बादमें जीवोत्पत्ति होती है ऐसा नहीं है, लेकिन जीवसे अलग करने पर तुरन्तही जीवोत्पत्ति प्रारंभ होजाति है। कहा है कि... -195)

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