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प्रत्येक व्यक्ति इस प्रकार जागृति रखा करे तो संघ का कल्याण होता है व संघ का बल बढ़ता है। और प्रत्येक व्यक्ति ने शासन के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति व्यक्त की ऐसा कहा जा सकता है। जिससे देवों का स्मरण और जिन शासन की आराधना होती है।
१८ कायोत्सर्ग करने के हेतु कारण-साधन चउ "तस्स उत्तरीकरण" पमुह "सद्धा-55 इया" य पण हेउ। "वेयावच्चगरत्ता-55" तिन्नि, इय हेउ-बारसगं ॥१४॥
(अन्वयः-तस्स उत्तरीकरण पमुह चउ सद्धाइ इया पण वेयावच्चगरत्ता-ऽऽइ तिनि, हेऊ इय हेउ-बारसगं ॥५४॥)
शब्दार्थ:-पमुह-विगेरे, पण पांच, हेऊ-प्रयोजन, वेयावच्चगरत्ता ऽऽइ = वेयावच्च करना विगेरे, इअ = ये, इस तरह, बारसगं = बारह का समूह, हेउ बारस = बारह हेतु
गाथार्थ:- "तस्स उत्तरी करण” विगेरे चार “श्रद्धा” विगेरे पांच और वेयावच्च करना विगेरे तीन, इस प्रकार बारह कारण-साधन हैं।
विशेषार्थः- आठ निमित्तों में कायोत्सर्ग के आठ प्रयोजन (उद्देश्य) दर्शाये हैं और इन बारह हेतुओं में बारह कारण दर्शाये हैं। कार्य करने का उद्देश प्रयोजन दर्शाता है और कार्य उत्पन्न होने में सहायक साधन, उसे हेतु - कारण विगेरे कहा जाता है। ___ कार में बैठकर शिघ्र पुष्प लेने के लिए जाता है। "पुष्प के लिए शिघ्र जाना” ये जाने का उद्देश्य है और "कार" ये जाने का साधन है। ___इसी तरह इरियावहिया प्रतिक्रमण के काउस्सग्ग का उद्देश्य पापों का क्षय करना है, लेकिन किस तरीके की सामग्री से इरियावहिया प्रतिक्रमा जाय तो पापों का क्षय हो सकता है ? ये मुख्य बात है।
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