Book Title: Bharatvarshiya Prachin Charitra Kosh
Author(s): Siddheshwar Shastri Chitrav
Publisher: Bharatiya Charitra Kosh Mandal Puna
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भा र त व ी य
प्रा ची न चरित्र कोश
अकंपन
अंश-अंशुमान आदित्य का नामांतर है। स्तुति न सुनी । इतने में उसका मामा गरूड वहां २. (सो. यदु.) विष्णु के मत में यह पुरुहोत्र का आया । भागीरथी के जल के स्पर्श से काम होगा, पुत्र है।
ऐसा बता कर वह चला गया। कपिल जागृत होने ३. तृषित नामक देवगणो में से एक है।
के बाद उसने अंशुमान को स्तुति करते हुए देखा। अंशपायन-ब्रह्मदेव के मुष्कर क्षेत्र के यज्ञ में यह उसकी स्तुति से संतुष्ट हो कर उसने इसे भागीरथी की · अध्वर्युगणों का उन्नायक था (पन. स. ३४)। स्तुति करने को कहा । बाद में यह अश्व ले गया तथा
. अंशु-अश्विनों ने इसकी रक्षा की थी (ऋ. ८.५. पहले अश्वमेध यज्ञ पूरा करवाया। सगर ने तुरंत ही :२६)।
इसे राज्य दिया तथा वह वन में गया। इसने भी । २. कृष्ण तथा बलराम का गोकुल का सखा (भा. १०. अपने पुत्र दिलीप को राजसिंहासन पर बिठाया तथा २२. ३१)।
उसे प्रधान के हाथ में सौंप कर भागीरथी के प्राप्त्यर्थ - ३. मार्गशीर्ष (अगहन) माह के सूर्य का नाम (भा. | संपूर्ण जीवन तप में बिताने के लिये यह वन में गया। १२. ११. ४१)।
परंतु सिद्धि के पूर्व ही इसकी मृत्यु हो गई (म. व. मंशु धानंजय्य-अमावास्य शांडिल्यायन का शिष्य १०६; वा. रा. बा. ४१-४२)। यह शिवभक्त था। (वं. वा. १)।
इसने ३०८०० साल राज किया (भवि. प्रति. १.३१)। अंशमत-एक आदित्य । इसे क्रिया नाम की स्त्री ४. द्रौपदी के स्वयंवर के लिये गया हुआ राजा (म. थी। यह आषाढ में प्रकाशित होता है । इसकी १५०० आ. १७७.१०)। इसे भारतीय युद्ध में द्रोणाचार्य ने किरणें हैं (भवि. ब्राह्म. १६८)। अंशु (३.) तथा यह मारा (म.क. ४.६७)। एक ही है।
अंहोमुच वामदेव्य-सूक्तद्रष्टा (ऋ. १०. १२६ )। • २. पंचजन का पुत्र (पद्म. उ. २२. ७)। ३. (सू. इ.) असमंजस का पुत्र । पितरों की मानस
अकपि-तामसमन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । कन्या यशोदा इसकी स्त्री है। सगर का अश्वमेधीय अश्व
अकपिवत्-तामसमन्वन्तर के सप्तर्षियों में से एक । ढूंढ लाने के लिये असमंजस में इसे भेजा । मार्ग में इसे अकंपन-कृतयुग का एक राजर्षि । इसको हरि नामक इसके पितृव्य कपिलाश्रम के पास मृत पडे हुए दिखे। एक ही पराक्रमी पुत्र था। युद्ध में उसकी मृत्यु हो गई। वहीं वह अश्व भी दिखा। तब इसने कपिल की स्तुति अतीव दुख के कारण यह शोक कर रहा था। इतने की। परंतु कपिल ध्यानस्थ था। अतएव उसने इसकी में नारद ऋषि वहाँ आये तथा, मृत्यु अनिवार्य है ऐसा