Book Title: Anuyogdwar Sutram Part 02
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनुयोगद्वारसूत्रे संयोगाभ्यासात्-मुहर्मुहुस्तदर्शनरूपात संयोगात्, तथा-तद्गतगन्धाच्च निष्पन्ना= संजातः, तथा-निर्वेदाविहिंसालक्षणः-निर्वेदः-उद्वेगः, अविहिंसा=शरीरादेरसारत्वं निर्धाय हिंसादिपापेभ्यो विनिवर्त्तनम् , एतदुभयं लक्षणं चिद्रं यस्य स तथाभूतोबीभत्सो रसो भवति । उदाहरणमाह-बीभत्सो रसो यथा-अशुचिमलभृतनिझरम्अशुचिमलैः भृताः-पूर्णा निर्झराः-श्रोत्रादि विवररूपा यस्मिन् स तथा तम् , तथा सर्वकालमपि सर्वस्मिन्नपि काले स्वभावदुर्गन्धि-स्वभावेन प्रकृत्या दुर्गन्धयुक्तम् , तया-बहुमलकलुषं विविधप्रकारकैर्मलिनं शरीरकलिम्-शरीरमेव कलि:-कलहः सर्वकलहमूलत्वात् , शरीरकलिस्तं धन्यास्तु-शरीरमू परित्यागेन मुक्तिगमनकाले से उत्पन्न होता है। तथा इसके लक्षण निर्वेद-अविहिंसा हैं। उद्वेग का नाम 'निवेद' है। तथा शरीर आदि की असारता जानकर हिंसादिक पापों से दूर होना इसका नाम 'अविहिंसा' है । ये दोनों इस बीभत्सरसके चिह्न हैं । यह बीभत्सरस जिस प्रकार से जाना जाता है, सूत्रकार उस प्रकार की (वीभच्छो रसो) इन पदों द्वारा प्रकट करने की सूचना करते हुए कहते हैं कि (जहा) जैसे-(असुइमलभरियनिझर-सभावदुरगंधि सव्वकालंपि, धण्णा उ सरीरकलिं बहुमलकलुसं विमुंचंति) अपवित्रमलों से भरे हुए श्रोत्रादिइन्द्रियों के विकाररूप झरने जिसमें हैं, समस्त काल में भी जो स्वभावतः दुर्गन्धयुक्त है, और विविध प्रकार के मलों से जो मलिन बना हुआ है, ऐसे शरीररूप कलिकलह को सर्वकलह का मूल होने के कारण उस विषयक मूर्छा के परित्याग से तथा मुक्ति गमन समय में सर्वथा उसके त्याग से નિર્વેદ અને અવિહિંસા છે. ઉદ્વેગનું નામ “નિર્વેદ” છે તથા શરીર વગેરેની નિસાતા જાણીને હિંસા વગેરે પાપથી દૂર રહેવું તે અવિહિંસા છે તેઓ બને આ બીભત્સ રસના ચિહ્યો છે. આ બીભત્સરસ જેના વડે જાણવામાં भाव छे सूत्रा२ तेने (वीभच्छो रसो) मा ५४ ५ २५७८ ४२वानुं सूचन २i 3 छ है (जहा) म. (असुइमलभरियनिज्झरसभावदुग्गंधिसब्ब काल प, धण्णा उ सरीरकलिं बहुमलकलुसं विमुंचंति) अपवित्र माथी परપતિ શ્રેત્ર વગેરે ઇન્દ્રિયના વિકાર રૂપ ઝરાઓ જેમાં છે, તેમજ જે સદા સવ કાલમાં સ્વભાવતઃ દુધવાળું છે અને જાતજાતના મલાથી જે મલિન થયેલું છે–એવા શરીર રૂપ કલિ-કલહ-ને સર્વ કલહનું મૂલ લેવા બદલ તે વિશ્યક મૂચ્છના પરિત્યાગથી તેમજ મુક્તિગમન વખતે તેને સર્વથા ત્યાગ કરીને
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