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भनेकान्त
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३१ जनवरी १८२६, मंगलवार--च्छिी सदरकी १३ फवंरी १८३६, शनिवार--इस तारीखमें प्रोहदा देहरादूनके इबाकेको सहारनपुर जिलकी अदालतसे अलग वकालत मुन्सफी चिलकानाका बनाम दूलहराय मुकरर करने के लिये और शुदनिश (१) के मुनालक काटून (?) हुआ। हुमसे अदालत सहारनपुरमें पहुंचा।
२५ सितम्बर, १८३६, रविवार-मिती भसोजबदी ६ फरी १८२६, सोमवार--अमला रजिष्टरी एकम सन् १२४४ फसलीसे सदरकी चिट्ठीके अनुसार सहारनपुर पहुंचा।
मिजामत व फौजदारी और परमिटके दफ्तरों में हिन्दी ७ अक्तूबर १८२७, रविवार--कस्बा सरसावा
भाषामें लिखनेका काम जारी हुअा।। सासकी पैमाइश होगबाल स्याहानीसके अहतमाम
जुलाई १८३७, रविवार--पटियाखाके महाराजा (प्रवन्ध) में हुई।
करमसिंह बहादुरके पुत्र कुँवरजीकी बारात सरदार गुलाब२० अगस्त १८२८, बुधवार--मेला गुगाहल हमा। सिंह बृदिया वालोंके यहां रौनक पकीर (सुशोभित) हई।
२६ अक्तूबर १८२६, गुरुवार--मीर तालिवली . १ नवम्बर १८३७, बुधवार-हाकिमाने सदरके साहय हवे तहसीबदारी सरसावापर मुकर होकर हुक्ममे वे राजीनामे मंजूर किये जाने स्थिर हुए जिन्हें मुदई तशरीफ़ लाए ।
बोग विना मौजूदगी महमाइलों (प्रतिवादियों के पेश करें। १ नवम्बर १८२६, रविवार--हैदरमसीखां सह- ५ नवम्बर ५८३७, रविवार-सरसावाके भाई सीखदार मौकूफ (पृथक) होकर सहारनपुरको रवाना हुए। मन्दिरजीके साथ वास्ते दर्शन हस्तिनापुरजीके रवाना हुए।
२० मच १८३०, शनिवार--सरावगियोंके मेलेका ८ फर्वरो १८३८, गुरुवार-श्राजकी तारीख में अमाव वास्ते पूजाजीक सहारनपुर में हुमा।
पटनीकी प्राबादीका सगुन (मुहूर्त) मकरर हुमा। २६ मार्च १८३०, शुक्रवार--उक्त मेला सरावगियों ३ मार्च १८३८, शनिवार--ईश्वरीय कृपासे बहुत का बिधुर गया।
वर्षा हुई और वर्षाका प्रतिबन्ध संसारसे एक प्रकार दूर होगया। २५ नवम्बर १८३०, गुरुवार--मिस्टर क्रानोर्ड २६ मई १८३८ शनिवार--पृथ्वीपर भूकम्प हुमा। साहय वास्ते तकमील बन्दोबस्तके सरसावा तशरीफ़ जाए। १ जुलाई १८३८. रविवार-दस्तावेज़पर नाम
२९ अगस्त १८३३, गुरुवार-गुलाममली और बकैद वल्दियत व सकूनतक न लिखनेकी बाबत पर्वाना मनीवश मन्दिरजीकी चोरीके मुकदमेमें दौरा सपुर्द साहब कलक्टरका बनाम पारसदास फोतेदार (खजांची)
कचहरी तहसीली में पाया। २३ सितम्बर १८३३, सोमवार--गुलाममनी व २६ जुलाई १८३८, गुरुवार-कस्बा सुलतानपुर बूमली और हुसैनमसी पाँच पाँच वर्षकी कंदके साथ जैन- और चिलकाने में सलुनो हुई। खाने में कैद हुए।
८ अगस्त १८३८, रविवार-हरएक शहरमें २ जुलाई १८३४, रविवार-मौजा सुवाखेडी और सलूनो हुई। इब्राहमीकी सरहदका तसक्रिया हुभा।
१ जुलाई १८३६, सोमवार-सदरकी चिट्ठी १ जुलाई १८३५, गुरुवार-मिस्टर पोब साहब अनुसार हिन्दी भाषामें भर्जियों वगैरहका लिखा जाना मुम्सफो सहारनपुर के मोहदेपर मुकर्रर हुए।
अदालतों में जारी हुआ। २७ जनवरी १८३६, बुधवार--बेगमसाहवा शिमरू २० जुलाई १८३६, शनिवार--पंजाब देशके वाली साहबका सरना (जि. मेरठ) में देहान्त हुना। (राजा) सरदार रंजीतसिंह बहादुरके फूल बहुत बड़े समा
१२ फर्वरी १८३६, शक्रवार--पर्वाना साहब जज रोहके साथ सहारनपुर में दाखिल हुए हरद्वार जानेके खिये)। बहादुर मवः ४ फर्वरी, बाबत शामिल होने थाना नकुल ४ दिसम्बर १८४०, शुक्रवार--सूबा जाहोरके व रामपुर और गंगोहके मुन्सफ्री चिलकानामें, पाया। बाबी राजा महाराजा बरकसिंह और कुवर नौनिहालसिंह