Book Title: Agarwal Jati Ka Prachin Itihas
Author(s): Satyaketu Vidyalankar
Publisher: Akhil Bharatvarshiya Marwadi Agarwal Jatiya Kosh
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अग्रवाल जाति
राम, कृष्ण, शिव आदि सभी की उपासना समानरूप से करते हैं । वैव तथा शैव की अपेक्षा उन्हें स्मार्च हिन्दू कहना अधिक उपयुक्त होगा । अग्रवालों में वैष्णव और शैव का जो भेद है, वह केवल विविध परिवारों की परम्परा पर ही आश्रित है । क्रियात्मक जीवन में उसका विशेष प्रभाव नहीं है ।
प्रान्त
पंजाब
दिल्ली
I
अग्रवालों की एक अच्छी बड़ी संख्या जैन धर्म की अनुयायी है। जैन वालों को सरावगी भी कहते हैं। इनकी कुल संख्या कितनी है, यह निश्चित कर सकना संभव नहीं है, क्योंकि मर्दुमशुमारी की विविध रिपोर्टों में जैन अग्रवालों की पृथक संख्या नहीं दी गई। पर पंजाब तथा दिल्ली में उनकी गणना पृथक् रूप से दी गई है, जो इस प्रकार है
जैन
२४२२१
३०५२
कुल अग्रवाल
३७९०६४
२५३८०
इसका अभिप्राय यह है, कि पंजाब और दिल्ली में जैन अग्रवालों की संख्या कुल अग्रवालों की दस फीसदी भी नहीं है । यही बात दूसरे प्रान्तों में भी है । संख्या में कम होते हुये भी जैन अग्रवाल प्रभाव तथा स्थिति की दृष्टि से बहुत ऊँचे हैं। विशेषतया, मारवाड़ी अग्रवालों में जैनी लोग बड़े प्रभावशाली हैं।
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धर्म-भेद के होते हुये भी जैन तथा सनातनी हिन्दू अग्रवालों में खान-पान तथा विवाह सम्बन्ध में कोई रुकावट नहीं है। जैन तथा दूसरे अग्रवालों में विवाह सम्बन्ध खुले तौर पर होता है । मारवाड़ी
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