Book Title: Adhyatma Panch Sangrah
Author(s): Dipchand Shah Kasliwal, Devendramuni Shastri
Publisher: Antargat Shree Vitrag Vigyan Swadhyay Mandir Trust
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आगे सत्ता को साधु कहिये हैमोक्षमार्ग को साधे सो साधु कहिये। सत्ता स्वपदको साधे। द्रव्यसत्ता द्रव्य को साधे, गुणसत्ता गुण को साधे, पर्यायसत्ता परजाय को साधे, ज्ञानसत्ता ज्ञान को साधे, दरसन सत्ता दरसन को साधे, वीर्यसत्ता वीर्य को साधे, प्रमेयत्वसत्ता प्रमेयत्व को साधे, ऐसे अनंतगुण की सत्ता अनंत गुण को साधे। द्रव्यसत्ता गुण को साधे, गुणसत्ता द्रव्यसत्ता को साधे । परजायसत्ता ते पर्याय है। परजाय उत्तपाद, व्यय, ध्रुव को करे | पर्याय बिना उतपाद, व्यय, ध्रुव (धौव्य) न होय | उतपाद, व्यय, ध्रुव बिना सत्ता न होय; तातै पर्याय सत्ता द्रव्यगुण को साधे । ज्ञानसत्ता न होय तो ज्ञान न हो, तब सल गुण, द्रव्य... गास का जानपणा न होय । जानपणा न होय, तब द्रव्य, गुण-पर्याय का सर्वस्व को न जाने। विनका' सर्वस्व न जान्या, तब ज्ञेय नांवर भया। ज्ञान-ज्ञेय अभाव भये. वस्तु-अभाव होय । दरसन सत्ता न होय, तब दरसन का अभाव होय। दरसन अभाव ते देखना मिटे, तब ज्ञानविशेष बिना सामान्य न होय, तातें सब को सामान्यविशेष सिद्ध करे हैं। बिना सामान्य विशेष नहीं. बिना विशेष सामान्य नहीं । तातें दरशनसत्ता ते दरसन, दरसन ते ज्ञान, तब वस्तु की सिद्धि है।
प्रमेयसत्ता न होय, तो सब प्रमेय न रहे। तब प्रमाण करवे जोग्य द्रव्य, गुण, पर्याय न होय, तातें सत्ता सब को साधे है। ऐसे अनन्तगुण की, द्रव्य, गुण, पर्याय न होय, तातें सत्ता सब को साधे है। ऐसे अनन्तगुण की, द्रव्य की, पर्याय की सिद्धि करे है। सत्तागुण, तातै सो सत्ता ही साधक, ताक् साधु ऐसा नांवर पावे है।
१ उनका. २ नाम, ३ नाम
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